नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून पर जारी विरोध- प्रदर्शन को कवि डॉ कुमार विश्वास ने अपने नजरिए से देखा है। देश की मौजूदा तस्वीर पर तल्ख टिप्पणी करते हुए उन्होंने मौजूदा राजनीतिक दलों की कार्युपद्धति को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने ट्वीट के जरिए तंज कसा और कहा कि व्यवस्था को बनाए रखना किसी एक अकेले की जिम्मेदारी नहीं है। यह तो सबको देखना होगा कि देश में भाईचारा और सद्भाव कायम रहे।
कुमार विश्वास लिखते हैं कि देश लाठियाँ, गोलियाँ, गोले, आँसू, ज़ख़्म, चीखें और नुक़सान गिन रहा है पर जिन्होंने ये आग लगाई-भड़काई-फैलाई व पहुँचाई है वे सारे बस सीटें और वोट गिन रहे हैं ! जो वो दोनों चाहते थे और चाहते हैं, वही हो रहा है ! राजघाट पर कोई ख़ामोश रो रहा है ! भारत को सिर्फ़ भारत बचा सकता है।
9 दिसंबर को जब नागरिकता संशोधन बिल लोकसभा से पारित हुआ तो कयास कुछ यूं था कि राज्यसभा में मोदी सरकार के पास बहुमत नहीं है, लिहाजा अड़चन आ सकती है। राज्यसभा में करीब 6 घंटे बहस हुई और गृहमंत्री अमित शाह के जवाब के बाद कैब पर वोटिंग कराई गई। लोकसभा की ही तरह राज्यसभा में सरकार ने इस बिल पर बाजी मार ली। लेकिन सड़कों पर विरोध के सुर सुनाई पड़ने लगने थे। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद बिल ने कानून की शक्ल लिया और इसके खिलाफ एक एक बाद 59 याचिकाएं भी दायर हो गईं।
11 दिसंबर को जब यह बिल राज्यसभा से पारित हुआ तभी से उसका पुरजोर विरोध असम और दूसरे राज्यों में दिखाई दिया। लेकिन इसका सबसे बदरंग रूप दिल्ली के जामिया इलाके में दिखाई दिया और उसके बाद अफवाह की आग देश के दूसरे इलाकों में फैल गई। सवाल ये है कि अफवाह की आग के पीछे जिम्मेदार कौन है, क्या जानबूझकर सियासी रोटी सेंकने के लिए आतंक के माहौल का निर्माण किया जा रहा है।