- डीआरडीओ चीफ का कहना है कि सेना जिस तरह की मिसाइल चाहेगी हम वैसी बनाकर देंगे
- बीते दिनों में डीआरडीओ ने सुपरसोनिक, हाइपरसोनिक मिसाइलों के सफल टेस्ट किए हैं
- अत्यंत उन्नत एवं जटिल तकनीक पर काम कर रहा है रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन
नई दिल्ली : मिसाइलों के निर्माण पर रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ) के प्रमुख सतीश रेड्डी ने बड़ा बयान दिया है। रेड्डी ने बुधवार को कहा कि मिसाइल निर्माण के क्षेत्र में भारत आत्मनिर्भर बन चुका है और सेना अपने लिए जिस तरह की मिसाइल चाहेगी डीआरडीओ देश में वैसी ही मिसाइल बनाकर उसे देगा। बता दें कि बीते पांच सप्ताह में डीआरडीओ ने करीब 10 मिसाइलों का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है। इस कामयाबी के बाद संगठन उत्साहित है।
बीत दिनों में डीआरडीओ ने जिन मिसाइलों के सफल परीक्षण किए हैं उनमें हाइपरसोनिक मिसाइल शौर्य, ब्रह्मोस के उन्नत संस्करण, परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम पृथ्वी, हाइपरसोनिक मिसाइल तकनीक विकास वेहिकल रूद्रम-1, एंटी रेडिएशन मिसाइल एवं सुपरसोनिक मिसाइल असिस्टेड रिलीज टॉरपीडो शामिल हैं।
समाचार एजेंसी एएनआई के साथ खास बातचीत में डीआरडीओ चीफ ने कहा, 'मिसाइल निर्माण के क्षेत्र में, खासकर पांच से छह सालों में देश ने खुद को जैसे विकसित किया है, उसे देखकर मैं कहना चाहूंगा कि मिसाइल बनाने की दिशा में भारत अब पूरी तरह आत्मनिर्भर बन चुका है। सेना जिस तरह की मिसाइल चाहेगी अब हम वैसा बनाकर दे सकते हैं।'
डीआरडीओ प्रमुख ने कहा कि रक्षा निर्माण के क्षेत्र में निजी सेक्टर भी प्रमुखता के साथ आगे आया है। उन्होंने कहा, 'प्राइवेट सेक्टर हमारे साथ साझेदार है। वह हमारे साथ मिसाइल बनाने की क्षमता रखता है। वह हमारी जरूरतों के हिसाब से चीजें बनाने में सक्षम है।' पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ जारी तनाव के बीच सफलतापूर्वक मिसाइलों का परीक्षण किए जाने के सवाल पर रेड्डी ने कहा कि सेना के लिए स्वदेशी हथियार एवं मिसाइल बनाने के लिए डीआरडीओ लंबे समय से अथक परिश्रम करता आया है।
उन्होंने कहा, 'अपनी जिम्मेदारी को निभाते हुए डीआरडीओ कई हथियार प्रणालियों पर काम करता आया है। यहां तक कि कोविड-19 संकट के दौरान वैज्ञानिक लगातार काम करते रहे। चीजें दुरुस्त हो जाने पर हम परीक्षण के लिए आगे बढ़ते हैं।' डीआरडीओ चीफ ने कहा कि संगठन आगे अत्यंत एडवांस एवं जटिल तकनीक पर काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपने 'आत्मनिर्भर भारत' को साकार करने के लिए हम देश को एडवांस तकनीक देना चाहते हैं।