- कोविड की वजह से आंखों के दान और ट्रांसप्लांट पर असर
- दिल्ली एम्स में वेटिंग लिस्ट में इजाफा
- हर वर्ष 3000 आई डोनेशन और ट्रांसप्लांट की थी उम्मीद
अंगदान में एक आंखों के दान को महत्वपूर्ण माना जाता है। दिल्ली एम्स के आरपी सेंटर की अहम जगह है। लेकिन कोविड की वजह से होने वाले दुष्प्रभावों का असर शरीर के अलग अलग हिस्सों पर पड़ा जिसमें आंख भी शामिल है। एक रिपोर्ट के मुताबिक आई ट्रांसप्लांट कराने वालों को अब लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। दिल्ली में आई ट्रांसप्लांट की डिमांड तीन गुना बढ़ी है। डॉक्टरों का कहना है कि कोविड के मामले जब तेजी से बढ़ना शुरू होते हैं तो आई डोनेशन और ट्रांसप्लांट की संख्या में कमी आने लगती है।
आई डोनेशन और ट्रांसप्लांट पर कोविड की मार
आरपी सेंटर के मुखिया डॉ जे एस टिटियाल का कहना है कि कोविड की पहली लहर ने आई डोनेशन की मुहिम को मार दिया है। यदि कोविड की संख्या में इजाफा होता है तो उसका सीधा असर आई डोनेशन और ट्रांसप्लांट पर नजर आने लगता है। उसकी संख्या में कमी आ जाती है। डॉ टिटियाल कहते हैं कि उन्होंने प्रति वर्ष 3000 ट्रांसप्लांट के बारे में उम्मीद की थी। लेकिन इस टारगेट को हासिल करने में तीन और साल लग जाएंगे।
दिल्ली एम्स में आई डोनेशन और ट्रांसप्लांट
- हर वर्ष 3000 का लक्ष्य
- कोविड की वजह से एक तिहाई कमी
- इंतजार करने वालों की संख्या में तीन गुना बढ़ोतरी
- 2018-19 में 2500 टिश्यू और 1700 से ज्यादा सर्जरी हुई
- एम्स में हर वर्ष 5000-6000 की क्षमता
- 2019 में सबसे अधिक ट्रांसप्लांट हुआ
2021 में सिर्फ 580 केस
उन्होंने कहा कि उम्मीद थी कि हर वर्ष तीन हजार ट्रांसप्लांट के लक्ष्य को हासिल कर लिया जाएगा। लेकिन कोविड की दूसरी मार से पिछले साल हम सिर्फ 580 केस कर पाए। यह हमारे पहले के आंकड़ों का एक तिहाई है और इसके साथ ही आई ट्रांसप्लांट कराने वालों की संख्या में तीन गुना इजाफा हुआ है। इसका अर्थ साफ है कि सर्जरी के लिए इंतजार बढ़ा है।