- 2 साल पहले कांग्रेस से जुड़े थे हार्दिक पटेल, पिछले साल बने कार्यकारी अध्यक्ष
- हार के बाद हार्दिक ने पार्टी ने नेताओं पर उठाए सवाल
- छह नगर निगमों के चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन खराब रहा
नई दिल्ली: हाल में हुए गुजरात में छह नगर निगमों के लिए हुए चुनाव में भाजपा को प्रचंड जीत मिली, जबकि कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक रहा। 576 में से 483 सीटें जीतकर भाजपा ने अहमदाबाद, सूरत, वडोदरा, राजकोट, जामनगर और भावनगर नगर निकायों में अपनी सत्ता बरकरार रखी। कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा और वह केवल 55 सीटों पर जीत दर्ज कर पायी है। यहां तक कि कांग्रेस सूरत में अपना खाता खोलने में नाकाम रही।
इस हार के बाद कांग्रेस में अंदरूनी कलह एक बार फिर सामने आ गई है। दरअसल, गुजरात प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल ने पार्टी की हार के कई कारण गिनाए हैं और अपनी ही पार्टी के नेताओं पर आरोप लगाए हैं। पादीदार आंदोलन से पहचान बनाने वाले हार्दिक मार्च 2019 में कांग्रेस से जुड़े और 11 जुलाई 2020 को उन्हें गुजरात प्रदेश कांग्रेस समिति का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया।
पार्टी नेताओं पर लगाए आरोप
इसके बाद गुजरात में ये पहले चुनाव हुए जिसमें कांग्रेस बुरी तरह हार गई। हार के बाद हार्दिक ने कहा कि पार्टी ने उनके लिए एक भी पब्लिक मीटिंग तक आयोजित नहीं करवाई। पार्टी उनका भरपूर इस्तेमा नहीं कर सकी। पार्टी के कुछ नेता उन्हें नीचे लाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने 27 सार्वजनिक रैलियों में भाग लिया, सभी को अपने दम पर किया। पटेल ने कहा कि मैं कई बार पार्टी को बताता हूं कि जब मैं कांग्रेस में शामिल हुआ था तो मैंने सोचा था कि कांग्रेस मेरा उपयोग करेगी।
24 फरवरी को एक ट्वीट में हार्दिक कहते हैं, 'कांग्रेस पार्टी की महान विरासत को मजबूत करने का काम कर रहा हूं। संघर्ष के इस रास्ते पर शायद गिर सकता हूं, कोई मुझे गिरा भी सकता है लेकिन मैं उठकर फिर चलूंगा। कांग्रेस लड़ेगी और जीतेगी।'
आगे क्या होगी हार्दिक पटेल की भूमिका
अब ऐसे में सवाल है कि हार्दिक पटेल की कांग्रेस में आगे क्या भूमिका रहने वाली है? उन्होंने जो गंभीर आरोप पार्टी पर लगाए हैं क्या इससे उनका कांग्रेस से मोहभंग हो गया है? सवाल उनकी क्षमता पर भी है क्योंकि उनका उदय पादीदार आंदोलन से ही हुआ और उनके रहते हुए कांग्रेस पाटीदारों का गढ़ कहे जाने वाले सूरत में बुरी तरह हारी। पाटीदार समाज के नेता कहे जाने वाले हार्दिक पटेल की नेतृत्व क्षमता पर भी इससे प्रश्नचिह्न लगे हैं।