- बिहार में तीन चरणों मतदान, 28 अक्टूबर, 3 नवंबर और सात नवंबर को चुनाव
- 10 नवंबर को जारी किए जाएंगे औपचारिक नतीजे
- 2015 के एग्जिट और वास्तविक नतीजों के बीच कुछ ऐसा था रिश्ता
नई दिल्ली। बिहार विधानसभा के तीसरे चरण का चुनाव शनिवार को संपन्न होगा और नतीजों का औपचारिक ऐलान 10 नवंबर को होगा। 2020 का चुनाव इस मायने में अलग है क्योंकि आरजेडी और जेडीयू एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। अंतिम चरण के चुनाव के बाद हर किसी की निगाह एग्जिट पोल पर होती है कि बिहार में किसकी सरकार बनती है। बहुत बार ऐसा देखा गया है कि एग्जिट पोल के नतीजे बुरी तरह धाराशायी हुए हैं। लेकिन बहुत दफा एग्जिट पोल के नतीजे औपचारिक नतीजों के करीब रहे हैं।
2015 वाला एग्जिट पोल और वास्तविक नतीजे
बिहार विधानासभा चुनाव 2020 से संबंधित एग्जिट पोल के नतीजे मतगणना समाप्त होने के बाद आने लगेंगे और मोटा मोटा एक रुझान मिलने लगता है कि इस दफा नीतीश सरकार में लोगों ने फिर भरोसा जताया है या तेजस्वी यादव बाजी मारने में कामयाब रहे हैं या इससे इतर कहीं बिहार विधानसभा की तस्वीर त्रिशंकु तो नहीं होने वाली है। लेकिन हम 2015 के एग्जिट पोल और वास्तविक नतीजों को आपके सामने रख रहे हैं।
2015 में ऐसी थी बिहार विधानसभा की तस्वीर
सी वोटर का था यह अनुमान
सी-वोटर के एक्जिट पोल में बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले महागठबंधन को सर्वाधिक सीटें मिलने का अनुमान व्यक्त किया गया थ। सी वोटर ने महागठबंधन को 112 से 132 सीटें मिलने का अनुमान व्यक्त किया था। बिहार विधानसभा में BJP के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को 101 से 121 सीटें मिलते हुए बताया गया था।
टुडेज चाणक्य
टुडेज चाणक्य के एग्जिट पोल के मुताबिक, NDA को 144 से 166, महागठबंधन को 8374 से लेकर 92, जबकि निर्दलीयों को 2 से लेकर 8 सीट मिलने की भविष्यवाणी की गई थी।
नील्सन ने क्या बताया
नील्सन के एग्जिट पोल में महागठबंधन की सरकार बनती नजर आ रही थी। महागठबंधन को 130 सीटें, जबकि NDA को महज 108 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया था।
CNX एग्जिट पोल
CNX के एग्जिट पोल में महागठबंधन को 130-140 सीटें, जबकि NDA को 90-100 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया था।
कई बार सही, कई दफा नतीजे गलत
अगर 2015 में बिहार विधानसभा के नतीजों को देखें तो बीजेपी एग्जिट पोल के नतीजों के आसपास भी नहीं टिकी। यही नहीं जेडीयू और आरजेडी को बंपर कामयाबी मिली। इसके बारे में जानकार कहते हैं कि यह बहुत हद तक सैंपल साइज के साथ साथ कई और फैक्टर पर आधारित होता है। कुछ सर्वेयर्स मार्जिन ऑफ एरर ज्यादा लेकर चलते हैं और उसका नतीजा सटीक आता है। अगर आप 2019 के आम चुनावों को देखें या दिल्ली और हरियाणा विधानसभा के नतीजों को देखें तो पता चलता है कि एग्जिट पोल के नतीजे बहुत वास्तविक नतीजों के बेहद करीब थे।