- डॉक्टरों को गिफ्ट देना और मुफ्त में सैर कराना आदि पर जो कंपनी रकम खर्च करेगी। वह रकम टैक्स के दायरे में होगी
- कंपनियां इस तरह के खर्च को बिजनेस डिडक्सशन के रूप या यू कहें अपनी लागत के रूप में दिखाती थी।
- कंपनियां डॉक्टरों को अपनी दवाइयों की बिक्री करने के लिए गिफ्ट, विदेश यात्रा, हवाई यात्रा जैसी (Freebees)चीजें देती है।
Dolo Gift Allegations: कोविड-19 की लहर में हर घर में पहुंच चुकी दवा डोलो (Dolo)इस समय चर्चा में हैं। वजह उसकी बिक्री को लेकर डॉक्टरों को दिया गया 1000 करोड़ रुपये का गिफ्ट है। पढ़कर चौंक गए होंगे, लेकिन दावे के अनुसार Dolo बनाने वाली कंपनी माइक्रो लैब्स लिमिटेड ने बिक्री के लिए डॉक्टरों को 1000 करोड़ रुपये के गिफ्ट केवल इसलिए दे दिए, कि वह प्रिस्क्रिपशन पर डोलो लिखे। यानी मरीज को जरूरत नहीं हो तो भी डॉक्टर लिखे, इसके लिए उन्हें गिफ्ट का प्रलोभन दिया गया। अब सवाल उठता है कि जब देश में डॉक्टरों के लिए कोड ऑफ एथिक्स बना हुआ है, और उसको नहीं मानने पर सजा तक का प्रावधान है। तो फिर कैसे डॉक्टरों ने धड़ल्ले से डोलो की बिक्री कर डाली।
कैसे सामने आया मामला
फेडरेशन ऑफ मेडिकल ऐंड सेल्स रिप्रजंटेटिवंस असोसिएशन ऑफ इंडिया की तरफ से दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है। फेडरेशन के वकील संजय पारिक ने कोर्ट में बताया है कि डोलो ने डॉक्टरों को 1 हजार करोड़ रुपये के मुफ्त उपहार दिए ताकि उनकी दवा का प्रमोशन हो। सुनवाई कर रही जस्टिस वाई.एस. चंद्रचूड़ और जस्टिस एएस बोपन्ना वाली बेंच इस पर टिपप्णी कर इसे बेहद गंभीर मामला बताया है । और उसने सरकार से मामाले पर 10 दिन के अंदर जवाब मांगा है। इसके पहले जुलाई में सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (CBDT) ने डोलो-650 वाली कंपनी माइक्रो लैब्स लिमिटेड पर छापेमारी की थी। जिसमें यह दावा किया गया था कि कंपनी कई तरह की अनैतिक गतिविधियां करती है। सीबीडीटी ने कहा था कि 300 करोड़ रुपये की टैक्स की चोरी भी की गई।
डॉक्टरों पर कोड ऑफ एथिक्स लागू है
मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने डॉक्टरों के लिए एक कोड ऑफ एथिक्स बनाया हुआ है। साल 2009 के कोड ऑफ एथिक्स में यह सलाह दी गई है कि डॉक्टर गिफ्ट और दूसरी मुफ्त सुविधाएं नहीं ले। जिसमें विदेश यात्रा से लेकर दूसरी सुविधाएं तक शामिल हैं। इस मामले पर फॉर्मा एक्सपर्ट डॉ अनुराग शर्मा का कहना है कि असल में यह एक तरह से रिश्वतखोरी है। कंपनियां डॉक्टरों को अपनी दवाइयों की बिक्री करने के लिए गिफ्ट, विदेश यात्रा, हवाई यात्रा जैसी (Freebees)चीजें देती है। इसी तरह डॉक्टर कई बार मरीजों से गैर जरूरी लैब टैस्ट भी कराते हैं। जिससे कि कंपनियों का इन डायरेक्ट रुप से फायदा पहुंचा सकें।
वहीं एक प्रतिष्ठित अस्पताल के डॉक्टर का कहना है कि इंडस्ट्री में टारगेट भी दिए जाते हैं। इसका कहीं न कहीं फॉर्म कंपनियों और उपकरण बनाने वाले कंपनियों को ही फायदा पहुंचता है। इंडस्ट्री सूत्रों के अनुसार जब कोई आपको मुफ्त में विदेश यात्रा कराएगा, हवाई यात्रा कराएं या फिर महंगे गिफ्ट दे तो निश्चित तौर वह कहीं न कहीं अपना फायदा देखेगा।
डॉक्टर को मुफ्त सैर और गिफ्ट पर टैक्स
फॉर्मा कंपनियों के इस खेल पर नकेस कसने के लिए, सरकार ने 2022-23 के बजट में नया प्रावधान कर दिया है। इसके तहत डॉक्टरों को गिफ्ट देना और मुफ्त में सैर कराना आदि पर जो कंपनी रकम खर्च करेगी। वह रकम टैक्स के दायरे में आ गई है। इसके पहले तक कंपनियां इस तरह के खर्च को बिजनेस डिडक्सशन के रूप या यू कहें अपनी लागत के रूप में दिखाती थी।