- सी-2+50 फीसदी फॉर्मूले के अनुसार एमएसपी की गारंटी का कानून बनाने की मांग है।
- गन्ने का समर्थन मूल्य बढ़ाया जाए और गन्ने की बकाया राशि का भुगतान तुरन्त किया जाए।
- लखीमपुर खीरी नरसंहार के पीड़ित किसान परिवारों को इंसाफ के साथ जेलों में बंद किसानों की रिहाई की जाय।
Farmers Mahapanchayat: तीन कृषि कानूनों के विरोध में शुरू हुए किसान आंदोलन के खत्म होने के करीब 8 महीने बाद, किसान फिर से दिल्ली पहुंच गए हैं। और वह जंतर-मंतर पर महा पंचायत करने की कोशिश में हैं। एक बार फिर किसानों और पुलिस के बीच दिल्ली की सीमा पर झड़प हो रही है। खबर लिखे जाने तक पुलिस ने 19 किसानों को दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर पर हिरासत में ले लिया है। पुलिस ने किसानों को महा पंचायत की इजाजत नहीं दी है। इसे देखते हुए दिल्ली की सीमा पर भारी पुलिस बल तैनात है। संयुक्त किसान मोर्चा और दूसरे किसान संगठनों द्वारा यह महा पंचायत बुलाई गई है। जिसमें किसानों ने 9 सूत्रीय मांग रखी है। इसमें एमएसपी गारंटी से लेकर, लखीमपुर खीरी मामले में हिरासत में लिए गए किसानों की रिहाई , केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के इस्तीफे से लेकर दूसरो मांगों को लेकर किसान दिल्ली पहुंचे हैं।
किसान फिर क्यों वापस दिल्ली आए
करीब एक साल चले किसान आंदोलन के खत्म होने के बाद, किसान दोबारा दिल्ली क्यों पहुंचे हैं। इस पर कृषि मामलों के जानकार अजीत सिंह का कहना है कि देखिए, जब सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला किया और उसके बाद किसानों की एमएसपी से लेकर दूसरी मांगों को पूरा करने का भरोसा दिया था, तब जाकर किसानों ने आंदोलन वापस लिया। लेकिन करीब 8 महीने बीत जाने के बाद भी सारी मांगे पूरी नहीं हो पाई है। एमएसपी के लिए बनी कमेटी भी तीनों कृषि कानून के समर्थक लोग हैं। जिसकी वजह से किसानों में नाराजगी है। और इसलिए वह वापस दिल्ली आए हैं। असल में किसानों का मानना है कि सरकार ने उनके साथ वादाखिलाफी की है। जिसको लेकर उनमें गुस्सा है।
क्या हैं मांगे
संयुक्त किसान मोर्चा (अराजनैतिक) द्वारा जारी की मांग के अनुसार, उन्होंने कुल 9 सूत्रीय मांगे रखी हैं। जिसको लेकर वह सरकार से कार्रवाई करने की मांग कर रहे हैं। इसके तहत निम्नलिखित मांगे हैं..
- लखीमपुर खीरी नरसंहार के पीड़ित किसान परिवारों को इंसाफ के साथ जेलों में बंद किसानों की रिहाई की जाय। और केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी की गिरफ्तारी की जाए।
- देश के सभी किसानों को कर्जमुक्त किया जाए।
- बिजली संशोधन बिल-2022 रद्द हो।
- स्वामीनाथन आयोग के सी-2+50 फीसदी फॉर्मूले के अनुसार एमएसपी की गारंटी का कानून बनाया जाए।
- गन्ने का समर्थन मूल्य बढ़ाया जाए और गन्ने की बकाया राशि का भुगतान तुरन्त किया जाए।
- भारत WTO से अलग हो और सभी मुक्त व्यापार समझौतों को रद्द किया जाए।
- किसान आंदोलन के दौरान दर्ज किए गए सभी मुकदमे वापस लिए जाएं।
- प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों के बकाया मुआवजे का भुगतान तुरंत किया जाय
- अग्निपथ योजना वापस ली जाय।
जुलाई में सरकार ने बनाई एमएसपी पर कमेटी
इसके पहले, जब किसानों ने दिसंबर 2021 में किसान-आंदोलन खत्म कर घर वापसी की थी, तो उस समय सरकार ने एमएसपी को लेकर कमेटी बनाने का वादा किया था। जिसके आधार पर जुलाई 2022 में सरकार ने पूर्व कृषि सचिव संजय अग्रवाल की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया। इसके अलावा कमेटी में नीति आयोग के सदस्य (कृषि) प्रोफेसर रमेश चंद, कृषि अर्थशास्त्री सीएससी शेखर, आईआईएम अहमदाबाद के सुखपाल सिंह और कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) के वरिष्ठ सदस्य नवीन पी सिंह आदि शामिल किए गए थे। इसके साथ ही संयुक्त किसान मोर्चा के 3 सदस्यों को कमेटी में शामिल करने का फैसला किया गया था।
लेकिन संयुक्त किसान मोर्चा ने इस कमेटी को खारिज कर दिया था। कमेटी पर संयुक्त किसान मोर्च ने कहा था कि के हमें मार्च के महीने में जब सरकार ने मोर्चे से इस समिति के लिए नाम मांगे थे तब भी मोर्चा ने सरकार से कमेटी के बारे में स्पष्टीकरण मांगा था, जिसका जवाब कभी नहीं मिला। 3 जुलाई को एसकेएम की राष्ट्रीय बैठक ने सर्वसम्मति से फैसला किया था कि जब तक सरकार इस समिति के अधिकार क्षेत्र और टर्म्स ऑफ रेफरेंस स्पष्ट नहीं करती तब तक इस कमेटी में एसकेएम के प्रतिनिधि का नामांकन करने का औचित्य नहीं है।
19 नवंबर 2021 को कृषि कानून वापसी की घोषणा
किसानों के भारी विरोध प्रदर्शन और 11 दौर की बातचीत बेनतीजा रहने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर 2021 को तीनों कृषि कानून वापस लेने की ऐलान किया था। इसके बाद सरकार ने 29 नवंबर को नए कृषि बिल को लोकसभा और राज्यसभा से पास करवाकर वापस ले लिया गया था।