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- दिल्ली की सीमाओं पर पक्के मकान बना रहे हैं आंदोलन करने वाले किसान
- दिल्ली के टीकरी बॉर्डर पर 3 महीने से भी अधिक समय से धरना से रहे हैं किसान
- गर्मी को देखते हुए किसानों ने बनाए 2 दर्जन से अधिक पक्के घर
नई दिल्ली: तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने की अपनी मांगों को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे किसानों को साढ़े तीन महीने से अधिक का समय हो गया है, लेकिन अभी तक कोई समाधान निकलता हुआ नहीं दिख रहा है। इस बीच आंदोलन को लंबा खिंचता देख किसानों ने अब टीकरी बॉर्डर पर स्थायी यानी पक्के मकान बनाने शुरू कर दिए हैं। ये मकान ईंट, सीमेंट और गारे से बनाए जा रहे हैं।
दो दर्जन से अधिक घर बनकर तैयार
सर्द सर्दियां, इंटरनेट और बिजली कटौती, और अन्य प्रतिबंधों से निपटने के बाद, किसान अपने आंदोलन को और तेज करने तथा लंबे समय तक वहीं र बैठे रहने के लिए तैयार हैं। प्रदर्शनकारी किसानों ने हरियाणा के पास टीकरी सीमा पर लगभग 25-30 पक्के मकान बना लिए हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, वे केवल निर्माण सामग्री के लिए भुगतान कर रहे हैं और घरों का निर्माण मुफ्त में आंदोलन में मौजूद कुछ मिस्त्री लोग ही कर रहे हैं जो खेती भी करते हैं।
एक-दो हजार घर बनाने की योजना
इस तरह के एक घर के निर्माण की लागत 20,000-25,000 रुपये के आसपास आ रही है। किसानों की योजना आने वाले दिनों में इसी तरह के 1000-2000 घर बनाने की है। किसान सोशल आर्मी इस पहल का नेतृत्व कर रही है और किसानों को टीकरी सीमा पर स्थायी आश्रयों के निर्माण में मदद कर रही है। किसान सोशल आर्मी के अनिल मलिक ने मीडिया से बात करते हुए कहा, "ये घर किसानों की इच्छा की तरह ही मजबूत और स्थाई हैं। 25 घर बनाए गए, आने वाले दिनों में इसी तरह के 1000-2000 घर बनाए जाएंगे।"
वही एक अन्य प्रदर्शनकारी ने बताया, 'आंदोलन की कोई समयसीमा नहीं है और गर्मी का मौसम आ रहा है इसलिए हम स्थाई घर बना रहे हैं। अभी 25-30 पक्के मकान बन चुके हैं।'
टिकैत ने कही थी ये बात
इससे पहले शुक्रवार को भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के नेता राकेश टिकैत ने कहा था विपक्षी नेता किसानों के आंदोलन को ज्यादा समर्थन नहीं दे रहे क्योंकि उन्हें डर है कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा निशाना बनाया जाएगा। राजस्थान के जोधपुर के पीपाड़ में किसानों की महापंचायत को संबोधित करते हुए भाकियू नेता ने केंद्र में भाजपा नेतृत्व वाली सरकार को ‘दो लोगों की सरकार’ बताया जो किसी की नहीं सुनती। टिकैत ने कहा कि किसानों का आंदोलन लंबी लड़ाई है और युवाओं को इसे अंजाम तक ले जाने के लिए तैयार रहना चाहिए।