- 15 जनवरी को एक बार फिर किसान संगठनों और सरकार के बीच होगी बातचीत
- सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी से एक सदस्य बी एस मान ने खुद को किया अलग
- किसानों का कहना है कि कृषि कानूनों की वापसी ही उनकी प्रमुख मांग
नई दिल्ली। कृषि कानूनों के अमल पर देश की सर्वोच्च अदालत ने रोक लगा दिया है। इसके साथ ही किसानों की शंकाओं के समाधान के लिए अदालत ने चार सदस्यों वाली समिति गठित की। लेकिन समिति से बी एस मान ने खुद को अलग कर लिया। इस तरह के घटनाक्रम के बीच सवाल यह था कि क्या 15 जनवरी को सरकार और किसान संगठनों के बीच बातचीत होगी। इस विषय नें कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार खुले मन से किसानों से बातचीत करेगी।
विज्ञान भवन में होगी 9वें दौर की बातचीत
किसानों के साथ विज्ञान भवन में 9वें दौर की बातचीत होगी। लेकिन उससे पहले किसान संगठनों की तरह से बयान आया। उस बयान को देखने के बाद सवाल उठता है कि आखिर कौन पक्ष अड़ियल रुख अपना रहा है। किसानों के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि 26 जनवरी को उन लोगों का कार्यक्रम बिल्कुल साफ है। 26 जनवरी को, हम लाल किले से इंडिया गेट तक जुलूस निकालेंगे। हम वहां झंडा फहराएंगे जहां हम अमर जवान ज्योति पर मिलेंगे। यह एक ऐतिहासिक दृश्य होगा जहां एक तरफ हम 'किसान' होंगे और दूसरी तरफ 'जवान' होंगे।
आगे का फैसला सरकार से वार्ता के बाद
क्रांतिकारी किसान यूनियन के प्रमुख दर्शन पाल ने कहा कि हम सरकार के साथ कल की बैठक में जाएंगे। हम तय करेंगे कि सरकार कैसे व्यवहार करेगी, इसके आधार पर आगे क्या करना है। एक समिति (कृषि कानूनों की समीक्षा के लिए) सदस्य पहले ही इस्तीफा दे चुके हैं जो एक अच्छी बात है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से समिति के सदस्य रहे बी एस मान ने कहा कि वो किसानों के साथ है उससे पता चलता है कि समिति से वार्ता करने से किसी तरह का फायदा नहीं है। वो लोग पहले से ही कह रहे हैं कि जब समिति के ज्यादातर सदस्यों का पहले से खास राय रही है तो कुछ खास नतीजा नहीं निकलने वाला है।
कृषि कानूनों पर कब निकलेगा रास्ता, इंतजार
अगर किसान आंदोलन की बात करें तो किसान संगठनों से जुड़े लोग पिछले 50 दिन से दिल्ली की सीमा पर डटे हुए हैं। किसान आंदोलन में 40 से अधिक लोग जान गंवा चुके हैं। किसानों का कहना है कि उनकी तो सिर्फ एक ही मांग है कि सरकार कृषि कानूनों को वापस ले ले आंदोलन खत्म कर देंगे। किसानों की इस लड़ाई को अलग अलग तरह से राजनीतिक दल भी समर्थन दे रहे हैं। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि उनकी बात को ध्यान में रखो कि केंद्र को इन काले कानूनों को वापस लेना ही होगा।
जनवरी के अंत में जीवन की अंतिम भूख हड़ताल- अन्ना हजारे
सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा और अपना फैसला दोहराया कि वह जनवरी के अंत में दिल्ली में किसानों के मुद्दे पर अंतिम भूख हड़ताल करेंगे।केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर विभिन्न किसान संगठनों के जारी आंदोलन के बीच हजारे ने यह चिट्ठी लिखी है।
पिछले साल 14 दिसंबर को हजारे ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को पत्र लिखकर आगाह किया था कि कृषि पर एम एस स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशें समेत उनकी मांगें नहीं मानी गयी तो वह भूख हड़ताल करेंगे।उन्होंने कृषि लागत और मूल्य के लिए आयोग को स्वायत्तता प्रदान करने की भी मांग की है। हजारे ने कहा, ‘‘किसानों के मुद्दे पर मैंने (केंद्र के साथ) पांच बार पत्र व्यवहार किया लेकिन कोई जवाब नहीं आया। हजारे ने प्रधानमंत्री को पत्र में लिखा है कि इस कारण से मैंने अपने जीवन की अंतिम भूख हड़ताल पर जाने का फैसला किया है।