नई दिल्ली : कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसान आंदोलन के बीच आज (बुधवार, 30 दिसंबर) एक बार फिर किसानों के प्रतिनिधियों की सरकार के साथ बातचीत होनी है। सरकार ने लगातार कृषि कानूनों को किसानों के हित में बता रही है, वहीं किसान इसे अहितकारी बताते हुए इन्हें वापस लिए जाने की मांग पर डटी है। विपक्ष इस मुद्दे को लेकर लगातार सरकार के खिलाफ हमलावर है, पर किसन नेताओं ने अब खुद विपक्ष के रवैये पर सवाल उठाए हैं।
कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले करीब एक महीने से जारी किसानों के आंदोलन के बीच भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने बुधवार को कहा कि देश में मजबूत विपक्ष बेहद जरूरी है, जिससे सरकार में एक डर हो। लेकिन यहां ऐसा नहीं है। यही वजह है कि किसानों को सड़कों पर आना पड़ा है। कृषि कानूनों के खिलाफ वास्तव में विपक्ष को सड़कों पर उतरना चाहिए था और तंबू गाड़कर धरना-प्रदर्शन करना चाहिए था।
छठे दौर की वार्ता से किसानों को कितनी उम्मीद?
उनका यह बयान ऐसे समय में आया है, जबकि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में और दिल्ली से सटी सीमाओं पर किसानों के प्रदर्शन को एक महीना से अधिक वक्त बीत चुका है। कड़ाके की ठंड में किसान टेंट लगाकर अपने तंबुओं में डटे हैं और कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की मांग कर रहे हैं। इस मसले पर बुधवार को सरकार और किसान प्रतिनिधियों के बीच एक बार फिर बातचीत होनी है, पर किसान नेताओं में इसे लेकर कोई बहुत उम्मीद नहीं है।
पंजाब में किसान मजूदर संघर्ष समिति के संयुक्त सचिव सुखविंदर सिंह साबरा ने सरकार के साथ आज होने वाली छठे दौर की बातचीत से पहले कहा कि किसानों के प्रतिनिधियों और सरकार के बीच अब तक पांच दौर की बातचीत हो चुकी है, जिसमें कोई समाधान नहीं निकला। हमें आज भी किसी नतीजे पर पहुंचने की उम्मीद नहीं है। उन्होंने एक बार फिर जोर देकर कहा कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लिया जाना चाहिए।