- तब तक दिल्ली की सीमाओं पर डटे रहेंगे, जब तक कि नए कृषि कानूनों को निरस्त नहीं किया जाता: किसान यूनियन
- हमने 26 जनवरी को दिल्ली की ओर एक ट्रैक्टर परेड का आह्वान किया है: प्रदर्शनकारी किसान यूनियन
- किसानों और सरकार के बीच अगली बातचीत 4 जनवरी को होनी है
नई दिल्ली: प्रदर्शनकारी किसानों ने अपनी लड़ाई को लंबा और तेज करने का फैसला कर लिया है। क्रांतिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष दर्शन पाल ने कहा कि 23 जनवरी को हम विभिन्न राज्यों में राज्यपालों के घरों की ओर मार्च करेंगे, और 'ट्रैक्टर किसान परेड' 26 जनवरी को दिल्ली में आयोजित की जाएगी।' उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय ध्वज के साथ 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड को 'किसान परेड' कहा जाएगा।
किसान यूनियन का कहना है कि हम शांतिपूर्ण थे, शांतिपूर्ण हैं और शांतिपूर्ण रहेंगे, लेकिन तब तक दिल्ली की सीमाओं पर डटे रहेंगे, जब तक कि नए कृषि कानूनों को निरस्त नहीं किया जाता। वहीं किसान नेता अशोक धवले ने कहा, 'हमारे आंदोलन के दौरान 50 से अधिक किसान 'शहीद' हो गए हैं।'
'किसान गणतंत्र परेड' करेंगे
किसानों ने ये ऐलान तब किया है, जब 4 जनवरी को उनकी सरकार के साथ वार्ता होनी है और कई लोग उम्मीद जता रहे हैं कि इस बातचीत में समाधान निकल सकता है। स्वराज इंडिया प्रमुख योगेंद्र यादव ने कहा, 'यह कोरा झूठ है कि सरकार ने किसानों की 50 प्रतिशत मांगें स्वीकार कर ली हैं। हमें अभी तक कागज पर कुछ नहीं मिला है। अगर 26 जनवरी तक हमारी मांगें पूरी नहीं हुईं, तो किसान दिल्ली में 'किसान गणतंत्र परेड' करेंगे। हम राष्ट्रीय राजधानी के आस-पास के क्षेत्रों के किसानों से अपील करते हैं कि वे तैयार रहें और देश के हर किसान परिवार से अनुरोध करें कि वे दिल्ली में एक सदस्य को भेजें।'
मांगों के लिए अड़े किसान
इससे पहले केंद्र के साथ अगले दौर की बातचीत से पहले अपने तेवर सख्त करते हुए किसान संगठनों ने शुक्रवार को चेतावनी दी कि अगर सरकार चार जनवरी की बैठक में तीन नए कृषि कानूनों को रद्द करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी गारंटी देने की उनकी मुख्य मांगों को हल करने में नाकाम रहती है तो वे हरियाणा में सभी मॉल और पेट्रोल पंप बंद करना शुरू कर देंगे। किसान नेता युद्धवीर सिंह ने कहा कि अगर केंद्र सरकार सोचती है कि किसानों का विरोध शाहीन बाग की तरह हो जाएगा, तो यह गलत है। उन्होंने कहा, 'वे (सरकार) हमें इस जगह से वैसे नहीं हटा सकते हैं, जैसा उन्होंने शाहीन बाग में किया था।'
किसान नेताओं ने कहा कि प्रदर्शन के पंजाब तक सीमित रहने के सरकार के कथित दुष्प्रचार का मुकाबला करने के लिए छह जनवरी से 20 जनवरी तक देशभर में रैलियां, धरने, और संवाददाता सम्मेलनों का आयोजन किया जाएगा। किसान नेताओं ने कहा कि 18 जनवरी को महिला दिवस मनाया जाएगा और 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। बुधवार को छठे दौर की औपचारिक वार्ता में सरकार और किसान संगठनों के बीच बिजली की दरों में वृद्धि और पराली जलाने पर जुर्माने को लेकर किसानों की चिंताओं के हल के लिए कुछ सहमति बनी। लेकिन तीन कृषि कानूनों को रद्द करने और एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी के मुद्दों पर गतिरोध कायम रहा।