- अनिल घनवत, सु्प्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति के सदस्य थे
- किसानों के मुद्दे पर सिर्फ राजनीति की गई- अनिल घनवत
- संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े लोगों को बार बार अपनी बात रखने के लिए बुलाया गया
कृषि कानूनों के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट ने जो समिति बनाई थी उसके एक सदस्य अनिल घनवत ने कुछ बड़ी बातें कही हैं। बता दें कि यह रिपोर्ट अभी सार्वजनिक नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा के लोगों से बार बार समिति के सामने अपनी बातों को रखने के लिए कहा गया था लेकिन वो नहीं आए। उन्होंने कहा कि सरकार की मंशा कृषि कानूनों के मसौदे से साफ झलकता है। सरकार कभी मंडियों को खत्म करने के पक्ष में नहीं थी। सरकार चाहती थी कि देश में इस तरह की व्यवस्था को अमल में लाया जाया जिससे किसानों को उनके उत्पादों का सही दाम मिल सके।
सुप्रीम कोर्ट की नियुक्त समिति के सदस्य का दावा
- 85 फीसद किसान चाहते थे कृषि कानून लागू हो
- 73 में से 71 संगठनों को कृषि कानून पसंद थे।
- एससी की कमेटी के सदस्य अनिल घनवत का दावा
- जरूरी वस्तु एक्ट का दुरुपयोग होता है।
सबको पता था क्या रिपोर्ट आएगी
अनिल घनवत की बातों पर प्रतिवाद करते हुए भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता और संयुक्त किसान मोर्चा के बड़े चेहरे रहे राकेश टिकैत ने कहा कि यह तो सबको पता था कि रिपोर्ट क्या आने वाली है। सवाल यह है कि रिपोर्ट सार्वजनिक क्यों नहीं की गई। हकीकत यह है कि किसानों को ही कई खेमों में तोड़ने की साजिश रची जा रही है। एक तरफ कहा जा रहा है कि मंडियों को खत्म नहीं किया जा रहा है लेकिन मध्य प्रदेश का उदाहरण सबके सामने है।
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बिहार और पूर्वी यूपी के किसानों को उनका हक नहीं मिल रहा है। किसानों के मुद्दे पर सिर्फ और सिर्फ राजनीति की जा रही है। राकेश टिकैत के आरोपों का प्रतिवाद करते हुए अनिल घनवत ने कहा कि सच तो यह है कि ये लोग किसानों को बरगलाने का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों का मकसद साफ था कि किसानों को ढेर सारे विकल्प मिलें साथ ही जो कुछ उत्पाद लाते हैं उसे बाजार में बेहतर कीमत मिल सके।