नई दिल्ली: नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने मंगलवार को लोकसभा में सत्ता पक्ष से अपील की कि वह 'राम' या 'अल्लाह' के नाम पर देश में भेदभाव पैदा न करें, क्योंकि ये सभी नाम एक ही ईश्वर के हैं, जिनके सामने हम झुकते हैं। उन्होंने ने कहा, आप मंदिर में जाते हैं तो मैं मस्जिद में जाता हूं, कुछ गुरुद्वारा या चर्च जाते हैं .. एक डॉक्टर कभी भी खून की बोतल को देखकर ये नहीं पूछता है कि ये खून हिंदू का है या मुसलमान का।उन्होंने कहा, राम पूरी दुनिया के हैं। राम हम सभी के हैं।
इसी तरह कुरान सिर्फ हमारा नहीं, सबका है।नेकां नेता ने सरकार से किसानों के मुद्दे को गंभीरता से लेने और उनके मुद्दों को जल्द से जल्द हल करने का आग्रह भी किया। उन्होंने तीनों कृषि कानूनों को किसान विरोधी बताते हुए दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों की मांगें मान लेने की अपील की।
"हम यहां समाधान करने के लिए हैं, बाधाएं पैदा करने के लिए नहीं"
अब्दुल्ला ने सरकार से आग्रह करते हुए कहा, कानून हमने बनाए हैं। यदि वे (किसान) चाहते हैं कि कानूनों को निरस्त किया जाए, तो हमें इस पर विचार करना चाहिए। अगर आप उनसे फिर बात कर लेंगे तो क्या खो देंगे? हम यहां समाधान करने के लिए हैं, बाधाएं पैदा करने के लिए नहीं। कृपया एक समाधान निकालें। उन्होंने कहा ये कृषि कानून एक धार्मिक ग्रंथ नहीं हैं, जिनमें परिवर्तन नहीं किए जा सकते हैं। नेकां नेता ने कहा, आप किसानों से बात क्यों नहीं रहे हैं?
पांच अगस्त, 2019 के बारे में बात करते हुए, जब जम्मू एवं कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को समाप्त कर दिया गया था, अब्दुल्ला ने कहा, आपने (सरकार) निर्णय लिया और हमारी सलाह के बिना ही इसे लागू किया।उन्होंने केंद्र शासित प्रदेश में 4जी सेवाएं बहाल करने के लिए सरकार को धन्यवाद दिया। साथ ही दावा किया कि जम्मू-कश्मीर के लोगों से 50,000 नौकरियों का वादा किया गया था। अभी तक एक भी व्यक्ति को नौकरी नहीं मिली है।
अब्दुल्ला ने भारतीय वैज्ञानिकों को बधाई भी दी
उन्होंने कोविड-19 वैक्सीन विकसित करने के लिए भारतीय वैज्ञानिकों को बधाई भी दी। इस बीच, अब्दुल्ला ने सत्तापक्ष की ओर से जवाहरलाल नेहरू जैसे राजनीतिक दूरदर्शी लोगों के कद पर सवाल उठाने का आरोप लगाते हुए कहा कि इस तरह की राजनीति ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि आज जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल, राजीव गांधी, इंदिरा गांधी के बारे में सवाल उठाए जाते हैं और ये भारतीय परंपरा नहीं है। अब्दुल्ला ने आग्रह किया कि ये परंपरा मत शुरू करिए। जो दुनिया से चला गया, उसकी इज्जत करिए।