- पंजाब और हरियाणा के कोरोना संक्रमित चंडीगढ़ के पीजीआई में भर्ती
- पूरे देश में कोरोना के 18 हजार मामले
- कोरोना के खिलाफ लड़ाई में टेस्टिंग और ट्रेंसिंग पर खास जोर
नई दिल्ली। कोरोना के खिलाफ देश जंग लड़ रहा है। हर एक दिन हजारों की संख्या में केस सामने आ रहे हैं। लेकिन कोरोना के कर्मवीर मुस्तैदी से अपनी ड्यूटी कर रहे हैं। उन्हें पता है कि छोटी सी लापरवाही की बड़ी कीमत अदा करनी पड़ सकती है। लेकिन उससे हटकर भी चुनौती सामने आ रही है। अगर किसी इलाके में किसी एक शख्स को कोरोना संक्रमित होने की खबर आती है तो वो शारीरिक दूरी के साथ साथ सामाजिक और भावनात्मक दूरी का भी शिकार हो जा रहा है। कुछ ऐसी ही दास्तां चंडीगढ़ की डॉक्टर गीतिका सिंह की है।
समाज की बेरुखी
डॉक्टर गीतिका सिंह के पति डॉ संजय जसवाल इस समय क्वारंटीन में हैं वो कहती हैं कि अगर अगली रिपोर्ट निगेटिव आती है तो वो घर पर आ जाएंगे। गीतिका के पति पीजीआईएमईआर चंडीगढ़ में तैनात हैं और पिछले 17 दिनों से अपने घर नहीं आए हैं। डॉ गीतिका सिंह खुद प्राइवेट अस्पताल में प्रैक्टिस करती हैं, वो कहती हैं अस्पताल जाने से पहले उन्हें अपने 6 वर्ष के बच्चे को कमरे में बंद कर जाना पड़ता है क्योंकि लोग कोरोना से इतना डरे हैं कि वो उनके बच्चे को एक घंटा भी नहीं रखना चाहते हैं।
कोरोना अपने साथ लाया खौफ
जानकारों का कहना है कि इस तरह की खबरें देश के अलग अलग हिस्सों से आ रही हैं। हाल ही में जब बाहर से प्रवासी मजदूर खासतौर से बिहार गए तो ऐहतियात के तौर पर उन्हें क्वारंटीन किया गया। क्वारंटीन के बाद जब वो अपने गांव में दाखिल हुए तो लोगों का व्यवहार कुछ बदला सा लगा है और इस वजह से दूरी बढ़ने लगी। इसका असर यह हो रहा है कि जो लोग क्वारंटीन किये गए हैं वो अवसाद का सामना कर रहे हैं। जब इस बारे में पूछा गया तो जानकारों का कहना है कि लोगों को लगता है कि कहीं यह संक्रमण उस शख्स में दोबारा न हो जाए। लिहाजा उस खतरे से बचने के लिए मेलजोल कम हो रहा है।