- 14 फरवरी 2019 को पुलवामा में अवंतीपोरा के निकट सीआरपीएफ के काफिले पर हुआ था हमला
- फिदायीन हमले की जिम्मेदारी जैश से जुड़े आतंकियों ने ली थी।
- पाकिस्तान के बालाकोट में भारत ने जैश के ठिकाने को किया था तबाह
नई दिल्ली। एक साल पहले आज ही के दिन दिल्ली से करीब 700 किमी दूर धरती की जन्नत यानि जम्मू-कश्मीर में आतंकी खतरनाक मंसूबों को अंजाम देने के अंतिम पड़ाव पर थे। मौसम सर्द था, बारिश भी थी और उन सबके बीच सीआरपीएफ का एक बड़ा काफिला जम्मू से श्रीगर की तरफ कूच कर चुका था। कारवां अपनी रफ्तार में आगे बढ़ रहा था। लेकिन पुलवामा में अनहोनी भी इंतजार कर रही थी। अवंतीपोरा के नजदीक जैसे ही काफिला पहुंचा धमाका हुआ और आगे की कहानी की स्किप्ट लिखी जा चुकी थी।
पुलवामा से कुछ दूर पहले आतंकियों ने विस्फोटकों से भरी कार को काफिले में टक्कर मारी और एक ही पल में सिर्फ और सिर्फ धुएं का गुबार था। जब वो बारुद की धूंध छंटी तो नजारा हृदय विदारक था। शहीद जवानों के छत विछत शव इधर उधर बिखरे पड़े थे। कारवां में चल रहे दूसरे जवान अपने शहीद हुए साथियों में सांस की एक अंश तलाश रहे थे ताकि उन्हें बचाया जा सके।
एक नजर में पुलवामा हमला
- जैश-ए-मोहम्मद ने सीआरपीएफ के काफिले पर फिदायीन हमला किया था।
- सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गये और कई अन्य बुरी तरह घायल हो गये थे।
- जैश के आतंकवादी ने विस्फोटकों से लदे वाहन से सीआरपीएफ जवानों को ले जा रही बस को टक्कर मार दी थी।
- केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल के 2500 से अधिक कर्मी 78 वाहनों के काफिले में जा रहे थे।
- अधिकतर जवान अपनी छुट्टियां बिताने के बाद अपनी ड्यूटी पर लौट रहे थे।
- अवंतिपोरा इलाके में लाटूमोड पर इस काफिले पर दोपहर करीब साढ़े तीन बजे घात लगाकर हमला किया गया था। आत्मघाती हमलावर उस वाहन को चला रहा था जिसमें 100 किग्रा विस्फोटक रखा हुआ था।
- वह गलत दिशा में वाहन चला रहा था और उसने जिस बस पर सीधी टक्कर मारी उसमें 39 से 44 सुरक्षा कर्मी यात्रा कर रहे थे।
आतंकियों की कायराना हरकत के बाद देश सकते और सदमें में था। टीवी स्क्रीन पर जो दृश्य दिखाए जा रहे थे उसके बाद हर भारतीय का खून खौल रहा था। सरकार से सिर्फ एक ही मांग थी कि अब बहुत हुआ। पाकिस्तान को सबक सिखाने का समय आ चुका है, हम कब तक यूं ही माता-पिता को रोते बिलखते देखेंगे, कब तक शहीदों की बेवाओं की चीत्कार का सामना करेंगे। ध्यान देने वाली बात यह है कि भारत में एक साल पहले फिजा चुनावी रंग में सराबोर थी। पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि जवानों की शहादत बेकार नहीं जाएगी।
पुललामा का बदला बालाकोट एयर स्ट्राइक के जरिए लिया गया। बालाकोट एयरस्ट्राइक इसलिए खास थी क्योंकि पहली बार शांति काल में पाकिस्तान के खिलाफ शांतिकाल में एयर स्ट्राइक को अंजाम दिया गया था हालांकि सरकार ने साफ कर दिया था कि यह स्ट्राइक पाकिस्तान के खिलाफ नहीं है बल्कि उन संगठनों के खिलाफ है जो पाकिस्तानी जमीन का इस्तेमाल कर भारत के खिलाफ साजिश रचते हैं।
बालाकोट एयर स्ट्राइक के खिलाफ इमरान सरकार की तरफ से अंतरराष्ट्रीय जगत में आवाज बुलंद की गई। लेकिन अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस जैसे देशों के साथ साथ उसके सदाबहार दोस्त चीन ने सधी प्रतिक्रिया दी। समय का चक्र आगे बढ़ा और एक बार फिर नरेंद्र मोदी सत्ता पर काबिज हो चुके थे। पीएम मोदी ने साफ किया कि भारत कभी अपने पड़ोसी देशों के खिलाफ सैन्य कार्रवाई में भरोसा नहीं करता है। लेकिन अगर अब कोई आंख उठा कर देखेगा तो उसे छोड़ा भी नहीं जाएगा। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जिस तरह से इमरान सरकार एक एक कर मात खा रही है उससे साफ है अब भारत बदल चुका है।