रायपुर : छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी को दिल का दौरा पड़ा है। उन्हें घर में दिल का दौरा पड़ा, जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया। उनकी हालत गंभीर बताई जा रही है। इस संबंध में रायपुर के श्री नारायण अस्पताल की ओर से बयान जारी किया गया है।
छत्तीसगढ़ की सियासत में अहम स्थान
छत्तीसगढ़ की राजनीति में अजीत जोगी का अहम स्थान है। उनका जिक्र किए बगैर राज्य की राजनीति पर चर्चा अधूरी मानी जाती है। जोगी नवंबर 2000 में छत्तीसगढ़ गठन के बाद पहले मुख्यमंत्री बने और इसके साथ ही उनका नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया। वह क्षेत्र में कांग्रेस के तेज-तर्रार नेताओं में शामिल रहे। हालांकि आगे चलकर उनका कांग्रेस से मतभेद हो गया और उन्होंने अपनी अलग पार्टी गठित कर ली।
कांग्रेस से अलग होकर बनाई अपनी पार्टी
छत्तीसगढ़ में कभी कांग्रेस के हाथ को मजबूत करने वाले अजीत जोगी ने वर्ष 2016 में इससे अलग होकर अपनी पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जोगी) बनाई। हालांकि दिसंबर 2018 में जब राज्य में विधानसभा चुनाव हुए तो उनकी पार्टी को अपेक्षित सफलता नहीं मिली। अजीत जोगी की पार्टी और मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने गठबंधन कर यह चुनाव लड़ा था और ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि इनका गठबंधन कांग्रेस और बीजेपी के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है, लेकिन चुनाव के नतीजों ने सभी को चौंका दिया।
विधानसभा चुनाव में ऐसा रहा प्रदर्शन
राज्य की 90 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस को जहां 68 सीटें हासिल हुईं, वहीं बीजेपी 15 सीटों पर सिमट गई, जबकि अजीत जोगी और मायावती के गठबंधन को महज सात सीटें हासिल हो पाईं। अजीत जोगी भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) की नौकरी छोड़कर राजनीति में शामिल हुए। बताया जाता है कि 1986 में जब कांग्रेस को मध्य प्रदेश से किसी ऐसे योग्य व्यक्ति की तलाश थी, जो अनुसूचित जाति/जनजाति से हो और जिसे राज्यसभा में भेजा जा सके, तब अजीत जोगी का नाम सामने आया था।
राज्यसभा, लोकसभा के सदस्य रहे
कांग्रेस में रहते हुए आजीत जोगी पार्टी के प्रवक्ता बने तो दो बार राज्यसभा के सदस्य भी रहे। वह 1998 में रायगढ़ से चुनाव लड़कर पहली बार लोकसभा पहुंचे। उन्हें कांग्रेस में अर्जुन सिंह का करीबी बताया जाता है, जिनके जरिये उनका संपर्क राजीव गांधी से हुआ।