- Owaisi पर देश का मुसलमान क्या सोचता है? देखिए ख़ास रिपोर्ट
- ज्ञानवापी को चुनावी मुद्दा बनाने में जुट गए हैं ओवैसी
- गुजरात के सूरत में आयोजित एक कार्यक्रम में ओवैसी ने किया ज्ञानवापी का जिक्र
Asaduddin Owaisi on Gyanvapi Survey: आज की तारीख में देश में चर्चा एक ओऱ जहां ज्ञानवापी की हो रही है, तो वहीं हर किसी के जुबान पर औरंगजेब भी है। ज्ञानवापी और औरंगजेब को लेकर जो सियासी तवा गर्म है उसपर कुछ लोग अपनी सियासी रोटियां सेंकने को बेताब हैं, खासकर हैदराबाद वाले भाईजान में खलबली कुछ ज्यादा ही है। सवाल ये भी है कि क्या ओवैसी कुछ को छोटा जिन्ना साबित करने की कोशिश में हैं। इसी बड़े सवाल का जवाब इस स्पेशल रिपोर्ट में तलाशने की कोशिश की है।
ओवैसी का अगल मिशन है गुजरात
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, इनके लिए इन दिनों एक कहावत मशहूर है जहां चुनाव वहां हैदराबादी भाईजान। दो साल पहले बिहार विधानसभा चुनाव में 5 सीटें क्या हाथ लगीं कि इनकी नजरें देश की तमाम विधानसभाओं पर पड़ गई। पिछले साल पश्चिम बंगाल में ऐड़ी चोटी का जोर लगाया था तो दो महीने पहले तक यूपी की खाक छान रहे थे। चुनाव में हाथ क्या आया ये तो उन्हीं को पता होगा लेकिन अब इनका अगला टारगेट है गुजरात। तब तो दो दिन पहले इन्होंने सूरत में एक बड़ा जलसा किया और तकरीर ऐसी कि मानो उनके सिवाय देश में मुसलमानों का कोई मसीहा ही न बचा हो।
आग में घी डालने का किया था काम
जनता अब तक ये जानती थी कि बैरिस्टर असदुद्दीन ओवैसी कानून, संविधान के बड़े जानकार हैं लेकिन सूरत की रैली में इन्होंने इतिहास पर ज्ञान देना शुरू कर दिया कि हिन्दुस्तान में कौन कब आया, कितने साल पहले आया,जुबानी सुना दी और लगे हाथ बात सम्राट अशोक औऱ पुष्यमित्र की भी बात छेड़ दी। जनवरी-फरवरी में कर्नाटक का हिजाब विवाद आपको याद होगा ही उडुपी के छोटे शहर से उठा ये मुद्दा देश की सबसे बड़ी अदालत के चौखट तक पहुंच गया था। विवाद को बवंडर बनाने में ओवैसी साहब के इस बयान ने आग में घी का काम किया था।
क्या सोचते हैं मुस्लिम
सवाल है कि औवेसी आखिर किसके लिए इस तरह बयानबाजी करते हैं .ये समझने के लिए टाइम्स नॉऊ नवभारत ने देश के अलग-अलग हिस्सों में मुसलमानों से इस पर सीधे बात की डायरेक्ट सवाल था कि क्या ओवैसी देश के मुसलमानों के रहनुमा है मुंबई की कबीर फातिमा ने जो कुछ भी कहा उसे सुनकर आपको भी हैरानी होगी। हैदराबादी भाईजान की फितरत से लगता है मुंबई की फातिमा अच्छी तरह वाकिफ है। बातचीत में पता चला कि पड़ोसी राज्य बिहार में ओवैसी ने 2020 में जो करिश्मा दिखाया था उसका असर यहां के मुसलमानों में बरकरार है। भाईजान के फैंस की कमी नहीं थी