- लॉकडाउन की वजह से प्रकृति को इसका सीधा फायदा पहुंचा है
- हवा के साथ-साथ नदियों के पानी की गुणवत्ता में भी सुधार आया है
- लॉकडाउन के बाद मानव जाति के लिए ये एक बड़ी सीख होगी
कोरोना वायरस के कारण भले ही दुनियाभर की मानवजाति को बड़ा नुकसान पहुंचा है लेकिन इससे प्रकृति की सुंदरता वापस आ गई है और इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। 1 महीने से ज्यादा के इस लॉकडाउन में जिस तरह से मानविक गतविधियां रोक दी गई है इसका सीधा फायदा प्रकृति में देखने को मिला है। जिस खूबसूरती के साथ इसने करवट ली है वह शायद ही इस काल में देखना संभव था। हवा, पानी, पेड़-पौधे, मौसम हर कुछ अपने वास्तविक दशा में है और ये कुदरत का सबसे खूबसूरत पल है।
ना सिर्फ हवा प्रदूषणमुक्त हुई है बल्कि नदी झरने और अन्य पानी के स्रोत भी प्रदूषणमुक्त हुए हैं इनकी गुणवत्ता में काफी सुधार आया है। इतना ही नहीं गंगा नदी और यमुना जैसी नदियों का पानी भी स्वच्छ हुआ है जैसी किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी। लॉकडाउन में इंसान अपने-अपने घरों में कैद है और नदियों से उसका संपर्क भी कट गया है ऐसे में नदियों के प्रदूषित होने का खतरा भी कम हो गया है और इसका साफ असर इसके पानी में दिख रहा है।
गंगा घाट साफ और स्वच्छ हैं। फैक्ट्रियां बंद हैं जिसके कारण उनका जहरीला पानी नदियों में जाना बंद हो गया है। नदियों के प्रदूषण का एक बड़ा कारण यही उद्योग व फैक्ट्रियां हैं। फैक्ट्रियां ही नहीं गंगा नदी में डीजल से चलने वाले मोटरबोट का चालन भी बंद कर दिया गया है। हाल ही में गंगा नदी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था जो उत्तराखंड के रिषिकेष में लक्ष्मण झूला के पास से लिया गया था। वीडियो आईएफएस ऑफिसर सुसांत नंदा ने शेयर किया था। गंगा नदी से जुड़ी वो जरूरी बातों जो आपको जानना जरूरी है-
- सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने प्री लॉकडाउन (15 मार्च-21 मार्च) में गंगा नदी में प्रदूषण के स्तर समीक्षा की थी इसके बाद उन्होंने लॉकडाउन शुरू के बाद (22 मार्च- 15 अप्रैल) तक गंगा नदी में प्रदूषण के स्तर की समीक्षा की थी। इस रिसर्च में ये सामने आया कि गंगा नदी का पानी इतना साफ हो गया है कि इस पानी में नहाया जा सकता है।
- 27 मार्च को सीपीसीबी ने कहा कि गंगा का पानी हालांकि अभी उस लेवल तक नहीं पहुंचा है कि इसका पानी पाने में इस्तेमाल किया जा सके। गंगा के पानी में मिला नाइट्रेट का लेवल भी काफी कम देखा गया है।
- आईआईट बीएचयू बनारस के केमिकल इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के प्रोफेसर डॉ. पीके मिश्रा ने बताया कि गंगा नदी में पानी की गुणवत्ता में 40 से 50 फीसदी तक सुधार आया है।
- वाराणसी में संग सेवा निधि के प्रमुख सुशांत मिश्रा ने क्विंट को बताया है कि गंगा नदी में पानी का स्तर बढ़ा है साथ ही इसके पानी की गुणवत्ता में भी सुधार हुआ है।
- एक्सपर्ट का मानना है कि पर्यावरण में सुधार बस कुछ ही समय के लिए है। जब लॉकडाउन समाप्त हो जाएगा तो स्थिति पहले जैसे ही हो सकती है।