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जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाना ऐसा है जैसे DGP को थानेदार और CM को MLA रहने दिया जाए: गुलाम नबी आजाद

Ghulam Nabi Azad,
Updated Nov 27, 2021 | 22:13 IST

कुलगाम में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाने की आलोचना करते हुए कहा कि यह एक डीजीपी को थानेदार और मुख्यमंत्री को केवल विधायक बनाने के समान है।

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गुलाम नबी आजाद

नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा खत्म करने के लिए केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह एक मुख्यमंत्री के पद को कम करते हुए विधायक बना देने जैसा है। कुलगाम में एक कार्यक्रम के दौरान आजाद ने कहा कि आमतौर पर केंद्र शासित प्रदेशों को राज्य में अपग्रेड किया जाता है। लेकिन हमारे मामले में राज्य को केंद्र शासित प्रदेश बनाकर डाउनग्रेड कर दिया गया था। यह डीजीपी को थानेदार, सीएम को विधायक और मुख्य सचिव को पटवारी बना देने जैसा है। कोई बुद्धिमान व्यक्ति ऐसा नहीं कर सकता।

पिछले महीने गुलाम नबी आजाद ने कहा था कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करने से पहले जम्मू-कश्मीर में स्थिति बेहतर थी। उन्होंने कहा था कि हमें बताया गया था कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद जम्मू-कश्मीर में परिदृश्य बदल जाएगा। विकास, अस्पतालों, बेरोजगारी का ध्यान रखा जाएगा। लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं हुआ है। वास्तव में, जब हम विभिन्न मुख्यमंत्रियों द्वारा शासित थे, तब हम कहीं बेहतर थे। 

उन्होंने कहा था कि तो, हम हारे हुए हैं। राज्य के दो हिस्सों में बंट जाने के बाद हम बुरी तरह से हारे हुए हैं। जब से विधानसभा भंग हुई है तब से हम हारे हुए हैं। 

5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 और 35A को निरस्त करके जम्मू-कश्मीर को दिए गए विशेष दर्जे को रद्द कर दिया था। राज्य को 2 हिस्सों में बांट दिया और दोनों को केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर दिया। अनुच्छेद 370 को रद्द किए जाने के बाद हाल ही में पहली बार जम्मू-कश्मीर दौरे पर गए गृह मंत्री अमित शाह ने श्रीनगर में बोलते हुए कहा था कि 2019 के बाद से इस क्षेत्र में पारदर्शिता और भ्रष्टाचार मुक्त शासन देखा गया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि कश्मीर ने भय, आतंकवाद, भ्रष्टाचार और परिवार आधारित राजनीति से शांति, विकास और समृद्धि की नई शुरुआत देखी है। परिसीमन क्यों रोका जाना चाहिए? ऐसा इसलिए है क्योंकि इससे राजनीतिक हितों को नुकसान होगा। अब कश्मीर में कुछ भी नहीं रुकेगा। परिसीमन होगा, उसके बाद चुनाव और फिर राज्य का दर्जा बहाल होगा ताकि कश्मीर के युवाओं को अवसर मिले। 

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