- दूसरी लहर के दौरान स्टेरॉयड और ऑक्सीजन के ज्यादा इस्तेमाल से ब्लैकफंगस जैसे मामले सामने आए थे।
- रेमडेसिविर का इस्तेमाल केवल गंभीर स्थिति में किया जाएगा और उसे मरीज को 10 दिन के बाद दिया जाएगा।
- मंगलवार को देश में 2.82 लाख नए केस सामने आए हैं। इस दौरान 1.87 लाख लोग ठीक हुए, जबकि 441 की मौत हुई है।
नई दिल्ली: याद करिए कोरोना की दूसरी लहर का वह दौर, जब रेमडेसिविर जैसी दवाइयां ब्लैक हो रही थी और लोग कई गुना दाम पर अपने लोगों की जान बचाने के लिए, उन्हें खरीद रहे थे। कई बार तो ऐसी स्थिति भी हो जाती थी कि लोगों को पैसे देने पर भी दवाइयां नहीं मिल रही थीं। लेकिन अब ओमीक्रॉन के खतरे के बीच कोरोना के इलाज के लिए नई गाइडलाइन जारी कर दी गई है। एम्स, आईसीएमआर, कोविड-19 टास्क फोर्स और डायरेक्टरेट जनरल ऑफ हेल्थ सर्विस द्वारा जारी गाइडलाइन में रेमडेसिविर और स्टेरॉयड के इलाज के नियम सख्त कर दिए गए हैं।
डॉक्टरों के समूह ने दी थी चेतावनी
इसके पहले 14 जनवरी को देश के प्रमुख 30 से ज्यादा डॉक्टरों के समूह ने कोरोना इलाज के तरीके पर केंद्र और राज्य सरकारों और आईएमए को पत्र लिखकर कहा था कि दूसरी लहर की तरह एक बार फिर गलती की जा रही है। ऐसी दवाइयों को देने का कोई मतलब नहीं है, जिनका कारोना के इलाज से कोई नाता नहीं है। उनके अनुसार एजिथ्रोमाइसिन, डॉक्सीसाइक्लिन, हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन, फेविपिराविर और आइवरमेक्टिन जैसी दवाएं देने का कोई मतलब नहीं है। इन्ही के गलत इस्तेमाल के कारण ही डेल्टा की दूसरी लहर में ब्लैक फंगस के मामले देखने को मिले थे।
रेमडेसिविर और स्टेरॉयड पर क्या नए दिशा निर्देश
नई गाइडलाइन में साफ तौर पर कहा गया है कि कोरोना से पीड़ित मरीज को रेमडेसिविर 10 दिन के बाद दी जा सकेगी। और इसका इस्तेमाल केवल इमरजेंसी के दौरान होगा । साथ ही जो मरीज ऑक्सीजन सपोर्ट पर नहीं हैं, उन्हें रेमेडेसिविर नहीं दी जाएगी। इसी तरह घर पर रहने वाले मरीज को भी रेमडेसिविर देने की इजाजत नहीं होगी। इसी तरह पहले दिन 200 mg IV और उसके बाद अगले 4 दिन 100 mg IV डोज दी जाएगी।
इसी तरह आईसीयू में जाने के 48 घंटे के अंदर मरीज को टोसिलीजुमाब (Tocilizumab)दी जा सकेगी। वहीं स्टेरॉयड्स वाली दवाएं अगर जरूरत से पहले, ज्यादा डोज या फिर ज्यादा वक्त तक इस्तेमाल की जाए तो ब्लैक फंगस जैसे इन्फेक्शन का खतरा बढ़ता है। इसलिए स्टेरॉयड का इस्तेमाल बेहद सावधानी से करना चाहिए। इसी आधार पर मिथाइलप्रीडनआइसोलोन और डेक्सामेथासोन के लिए तय डोज की सलाह दी गई है।
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ऑक्सीजन को लेकर क्या कहा
दूसरी लहर के दौरान, बड़ी संख्या में मरीजों को ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत पड़ी थी। उस दौरान लोगों ने डर कर और घबड़ाहट में खुद ही ऑक्सीजन लेने लगे थे। नई गाइडलाइन में मॉडरेट और गंभीर कैटेगरी के आधार पर कहा गया है कि अगर मरीज का ऑक्सीजन स्तर 90-93 के लेवल पर है तो वह मॉडरेट लेवल कहलाएगा। और 90 के स्तर से नीचे जाने पर उसे गंभीर माना जाएगा।
दूसरी लहर के दौरान स्टेरॉयड और रेमडेसिविर जैसे दवाइयों के इस्तेमाल पर डॉ प्रशांत राज गुप्ता ने टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल से कहा कि उस समय जिस तरह केस आ रहे थे, उससे मरीज से लेकर डॉक्टर तक में घबराहट थी। इलाज का प्रोटोकॉल भी रफ्तार के अनुसार नहीं बदल रहा था। इसकी वजह से स्टेरॉयड और दूसरी दवाओं का धड़ल्ले से इस्तेमाल हुआ। लोगों ने घबराहट में खुद भी ईलाज किया। जिसकी वजह से ब्लैक फंगस सहित दूसरी समस्याएं खड़ी हुईं।
अभी कितने मामले
मंगलवार को देश में 2,82,970 नए केस सामने आए हैं। इस दौरान 1.88 लाख लोग ठीक हुए, जबकि 441 की मौत हुई है। मौजूदा समय में देश में 18.25 लाख एक्टिव केस हैं। और 8961 ओमिक्रॉन के मामले हैं। जबकि 158 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन की डोज लगाई जा चुकी है।
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