- उत्तराखंड, अरूणाचल प्रदेश में गांवों से काफी पलायन बढ़ा है। वहां से युवा शहरों में चले गए हैं और केवल बुजुर्ग रह गए हैं।
- VVP के तहत उत्तरी भारत के सीमा पर बसे गांवों का विकास करना है।
- सरकार इसके तहत सेना की जरूरतों को देखते हुए सीमावर्ती गांवों में बुनियादी ढांचा तैयार कर सकती है।
नई दिल्ली: आए दिन ऐसी सेटेलाइट इमेज आती रहती है कि चीन ने बॉर्डर एरिया पर अपने इलाके में नए गांव बसा दिए हैं। अब उसको जवाब देने की तैयारी है। इसके लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम का ऐलान किया है। योजना का उद्देश्य उत्तरी भारत के सीमा पर बसे गांवों का विकास करना है। जाहिर है सरकार वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के जरिए चीन के सीमा पर बसे भारतीय गांवों का विकास करना है।
सरकार ने क्या कहा
वित्त मंत्री ने बजट भाषण में कहा कि बेहद कम आबादी वाले बॉर्डर के गांव सीमित संपर्क और बुनियादी इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी से विकास से दूर रह जाते हैं। उत्तरी सीमा पर बसे ऐसे गांवों को नए वाइब्रेंट गांव कार्यक्रम के तहत शामिल किया जाएगा। साफ है कि वित्त मंत्री का लद्धाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम, पूर्वोत्तर भारत के अरूणाचल प्रदेश में चीन की सीमा से सटे गांवों में इंफ्रास्ट्रक्चर विकास कर इन क्षेत्रों से पलायन को रोकना है। भारत का यह कदम इसलिए अहम है क्योंकि चीन ने अपना नया सीमा कानून 1 जनवरी 2022 से लागू कर दिया है।
पलायन बड़ा मुद्दा
सूत्रों के अनुसार सरकार के लिए सबसे बड़ी समस्या इन इलाकों से लोगों का पलायन है। क्योंकि पलायन होने से न केवल गांव खाली हो जाते हैं, बल्कि सेना को भी कई चुनौती का सामना करना पड़ता है। इन इलाकों में आबादी का होना काफी अहम है। क्योंकि स्थानीय लोग न केवल सीमा पार की गतिविधियों पर नजर रखते हैं बल्कि कई अहम जानकारियां भी सेना को मुहैया कराते हैं।
लेकिन अभी इन इलाकों में बेहतर बुनियादी सुविधाएं नहीं होने से लोगों का पलायन बढ़ा है। हिमाचल में फिर भी स्थिति ठीक है लेकिन उत्तराखंड, अरूणाचल प्रदेश में गांवों से काफी पलायन बढ़ा है। वहां से युवा शहरों में चले आए हैं और केवल बुजुर्ग रह गए हैं। ऐसे में अगर बुनियादी सुविधाएं यानी सड़क,अस्पताल, इंटरनेट, डीटीएच जैसी सुविधाएं विकसित होंगी तो न केवल पलायन रुक सकता है बल्कि लोग अपने गावों में वापस भी लौट सकते हैं। जो रणनीतिक रूप से फायदेमंद साबित हो सकता है।
क्या हो सकता है मॉडल
सरकार इसके तहत सेना की जरूरतों को देखते हुए सीमावर्ती गांवों में बुनियादी ढांचा तैयार कर सकती है। जिसमें अलग-अलग एजेंसियों के बीच बेहतर तालमेल होगा। इसे ऐसा समझा जा सकता है कि अगर सेना को अपनी जरूरतों के अनुसार कनेक्टिविटी के लिए सड़क बनानी है तो वह स्थानीय स्तर पर स्थानीय प्रशासन, सीमा सड़क संगठन और दूसरी संबंधित विभागों के साथ मिलकर एक समग्र नीति बनाई जा सकेगी। जिससे न केवल खर्च में कमी आएगी बल्कि इंफ्रास्ट्रक्चर विकास भी लंबी अवधि के लिए हो सकेगा।
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क्या है चीन का नया सीमा कानून
चीन की स्वायत्ता और क्षेत्रीय अखंडता को पवित्र करार दिया गया है। इस कानून के तहत अब सीमाओं से जुड़े मामलों में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) और पीपुल्स आर्म पुलिस (पीएपी) को अतिक्रमण, घुसपैठ या किसी तरह के हमले से निपटने का अधिकार दिया या है। नए कानून में जरुरत पड़ने पर सीमाओं को बंद करने के भी प्रावधान रखे गए हैं। चीन अपनी सीमाओं पर सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास कर सकेगा। इसके अलावा सार्वजनिक सेवाओं का भी विस्तार किया जाएगा।
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