कोलकाता : नेताजी सुभाष चंद्र बोस के प्रपौत्र एवं भाजपा नेता चंद्र कुमार बोस ने 18 अगस्त को उनकी पुण्य तिथि मनाये जाने संबंधी पीआईबी के ट्वीट पर सोमवार को ऐतराज जताया। उन्होंने कहा कि नेताजी की गुमशुदगी से जुड़ा रहस्य सुलझाया जाना अभी बाकी है और उनकी मृत्यु के बारे में कोई घोषणा सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की जानी चाहिए। चंद्र कुमार बोस ने ट्वीट किया, ‘राष्ट्र नेताजी से जुड़े रहस्य को समाप्त होते देखना चाहता है, खासतौर पर निहित स्वार्थ वाले लोगों द्वारा फैलाये जा रहे झूठे सिद्धांतों को रोकने के लिए। पीआईबी इंडिया का ट्वीट सही रुख नहीं है। ऐसी घोषणा अवश्य ही आधिकारिक तौर पर माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को ठोस सबूत के आधार पर करनी चाहिए।’
भाजपा नेता ने इस बात पर जोर दिया कि केंद्र को नेताजी की गुमशुदगी के बारे में जापान से फाइलें मंगानी चाहिए और जापान के रेनकोजी मंदिर में रखे नेताजी के अवशेषों की डीएनए जांच करानी चाहिए। उन्होंने इस सिलसिले में खुफिया ब्यूरो (आईबी) की फाइलें भी जारी करने की मांग की है। चंद्र कुमार ने ट्विटर पर प्रधानमंत्री, गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, पीआईबी अहमदाबाद सहित अन्य को ‘टैग’ कर पोस्ट किया, ‘अब चूंकि नेताजी से जुड़े रहस्य का मुद्दा राष्ट्रव्यापी हो गया है। ऐसे में इस रहस्य को सुलझाने के लिए कृपया जापान में रखी तीन फाइलें हासिल करिए, रेनकोजी मंदिर में रखे अवशेषों की डीएनए जांच कराई जाए और आईबी की फाइलें जारी की जाएं।’
गौरतलब है कि पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) ने रविवार को ट्वीट किया था, ‘पीआईबी महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस को उनकी पुण्यतिथि पर याद करता है।’पीटीआई-भाषा से बात करते हुए नेताजी के प्रपौत्र ने कहा कि नेताजी की मृत्यु कोई मामूली विषय नहीं है और पीआईबी जैसी एजेंसी को इस बारे में कोई घोषणा नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘यह (घोषणा) प्रधानमंत्री को करनी चाहिए, ना कि अमित शाह, राजनाथ सिंह या किसी अन्य व्यक्ति को।’
उन्होंने कहा, ‘मोदी सरकार ने नेताजी के प्रति काफी सम्मान दिखाया है और मुझे लगता है कि यदि उनकी गुमशुदगी या मृत्यु से जुड़ा रहस्य सुलझ गया है तो यह घोषणा सम्मान के साथ की जानी चाहिए, ना कि उस तरीके से जैसे कि पीआईबी ने घोषणा की। उनकी रेनकोजी में मृत्यु हुई या नहीं हुई। (इस बारे में) हम सच्चाई जानने का इंतजार कर रहे हैं।’
गौरतलब है कि कई रिपोर्टों में दावा किया गया है कि नेताजी ताईवान के ताईहोकु हवाई अड्डा से 18 अगस्त 1945 को एक विमान में सवार हुए थे, जिसकी दुर्घटना हो जाने पर उनकी मृत्यु हो गई। हालांकि, इसकी कोई पुष्टि नहीं हुई है क्योंकि विशेषज्ञों ने अलग-अलग सिद्धांत पेश किये हैं। केंद्र सरकार ने भी नेताजी की मृत्यु या गुमशुदगी के लिए जिम्मेदार परिस्थितियों पर प्रकाश डालने के लिए समय-समय पर पैनल गठित किये। शाह नवाज समिति (1956), खोसला आयोग (1970) और मुखर्जी आयोग (2005), लेकिन वे किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सके।
नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने प्रथम कार्यकाल में एक सितंबर 2016 को जापान सरकार की खोजी रिपोर्टें सार्वजनिक की थी, जिनमें यह कहा गया था कि नेताजी की ताईवान में एक विमान दुर्घटना में मृत्यु हो गई। रिपोर्टों में यह भी दावा किया गया है कि उनके अवशेष तोक्यो के रेनकोजी मंदिर में रखे हुए हैं। हालांकि, कई का मानना रहा है कि नेताजी विमान दुर्घटना में बच गये थे। वर्ष 2006 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सरकार ने स्वीकार किया था कि रेनकोजी मंदिर में रखे अवशेष नेताजी के हैं।