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भारत और डेनमार्क के बीच ग्रीन स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप की शुरुआत

Updated Jan 28, 2021 | 06:29 IST

ग्रीन स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप आपसी हित के साथ राजनीतिक सहयोग, आर्थिक संबंध और पर्यावरण अनुकूल विकास को बढ़ावा देगा।

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Green strategic partnership between India and Denmark

ई दिल्ली : भारत और डेनमार्क ने ‘दूरगामी महत्व के ग्रीन स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप’ के रूप में एक नए युग की शुरुआत की है जिसके तहत डेनमार्क भारत को सस्टेनेबल साल्यूशंस देगा। ग्रीन स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप आपसी हित के साथ राजनीतिक सहयोग, आर्थिक संबंध और पर्यावरण अनुकूल विकास को बढ़ावा देगा। इसके तहत रोजगार सृजन और वैश्विक चुनौतियों दूर करने और अवसरों का लाभ लेने के लिए परस्पर सहयोग की व्यवस्था कायम की जाएगी। पेरिस समझौते और संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों को पूरा करने की महत्वाकांक्षी योजना सफल बनाने पर भी ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

यह करार डेनमार्क के प्रधानमंत्री  मैट फ्रेडरकिसन और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदृष्टि के अनुरूप है जो 28 सितंबर, 2020 को एक वर्चुअल सम्मेलन में व्यक्त की गई थी। दोनों प्रधानमंत्रियों ने ग्रीन स्ट्रैटजिक पार्टनरशिप को अहम् बताया जिसके तहत भारत और डेनमार्क अपने संबंधित मंत्रालयों, संस्थानों और हितधारकों के माध्यम से परस्पर सहयोग करेंगे।

इस साझेदारी के विकास और सशक्त करने का आधार भारत और डेनमार्क के बीच मौजूदा संयुक्त सहयोग आयोग (6 फरवरी 2009 को हस्ताक्षरित) होगा जिसके तहत राजनीतिक; आर्थिक एवं वाणिज्यिक;  विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी; पर्यावरण; ऊर्जा; शिक्षा एवं संस्कृति के क्षेत्रों में सहयोग की दूरदृष्टि है। इसके अतिरिक्त यह करार पहले से मौजूद कृषि एवं पशुपालन, शहरी विकास, पर्यावरण, नवीकरणीय ऊर्जा, खाद्य प्रसंस्करण, विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार, शिपिंग, श्रम परिवहन और डिजिटलीकरण के कार्य समूहों का विकास करने और पूरक होने का कार्य करेगा।

पीएम मोदी ने भारत-डेनमार्क कौशल संस्थान के निर्माण की संभावना तलाशने पर जोर दिया ताकि भारत में कार्यरत डेनमार्क की कंपनियों के लिए स्थानीय कौशल सम्पन्न लोगों से सही कार्मिक चयन करने में मदद मिले। प्रधान मंत्री मोदी और उनके डेनमार्क समकक्ष फ्रेडरिकसन ने द्विपक्षीय संबंधों पर गर्मजोशी और मैत्री के माहौल में गहन विचारों का आदान-प्रदान किए। कोविड-19 महामारी और दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण वैश्विक मामलों पर चर्चा करने के साथ जलवायु परिवर्तन और हरित परिवर्तन और फिर स्थायी अर्थव्यवस्थाओं और समाजों के विकास में तेजी लाने पर भी विमर्श किया।

विदेश मंत्रालय ने बताया कि वर्तमान में डेनमार्क की 140 से अधिक कंपनियां भारत की खास पहल ‘मेक इन इंडिया’ में भाग ले रही हैं। प्रधान मंत्री मोदी ने कहा कि वे वस्तुतः ‘दुनिया के लिए भारत में निर्माण कर रहे हैं।’ दोनों पक्षों ने क्षेत्रीय और बहुपक्षीय मसलों पर भी चर्चा की।

ग्रीन स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप पर भारत में डेनमार्क के राजदूत माननीय फ्रेडी स्वेन ने कहा, ‘भारत और डेनमार्क के बीच हमेशा से घनिष्ठ सहयोग संबंध रहा है। ग्रीन स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप इसमें एक अन्य महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। दोनों देश ऊर्जा, जल और पर्यावरण, शहरीकरण और आईपीआर जैसे रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्रों में परस्पर सरकार स्तर पर कार्य कर रहे हैं। नए युग की इस साझेदारी से न केवल हरित पर्यावरण और स्थायी भविष्य निर्माण होगा बल्कि रोजगार, इनोवेशन और निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा।

भारत और डेनमार्क जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक मोर्चे पर आगे रहे हैं। जलवायु और ऊर्जा पर दोनों देशों के बहुत महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय लक्ष्य हैं जिनका पेरिस समझौता लागू करने में बड़ा योगदान होगा।  दोनों देश मिल कर दुनिया के सामने यह मिसाल रखेंगे कि जलवायु और स्थायी ऊर्जा के महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को पूरा करना संभव है।

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