- सोमनाथ को भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है।
- मत है कि दिल्ली स्थित कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद का निर्माण करीब 27 हिंदू और जैन मंदिरों को तोड़ करके बनाया गया था।
- मध्य प्रदेश के जिले में स्थित कमल मौला मस्जिद पर भी विवाद है। हिंदू धर्म के लोग इसे भोजशाला कहते है।
Gyanvapi Masjid Case : देश में इस समय एक बार फिर कई मंदिर-मस्जिद को लेकर विवाद सुर्खियों में है। एक तरफ जहां बनारस स्थित ज्ञानवापी मस्जिद और काशी विश्वनाथ मंदिर का मामला कोर्ट पहुंच गया है। वहीं इलाहबाद हाईकोर्ट में श्रीकृष्ण जन्मभूमि-ईदगाह मामले की सुनवाई हो चुकी है। इसके अलावा ताज महल को लेकर भी नया विवाद शुरू हो गया है कि वहां के 22 दरवाजों को खोला जाय। देश में मंदिर-मस्जिद को लेकर विवाद के मामले कोई नए नहीं हैं। सबसे पुराना मामला अयोध्या का रहा है। जहां पर साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर निर्माण के पक्ष में फैसला सुनाया था। लेकिन अभी भी कई ऐसे मामले हैं, जहां पर अयोध्या, ज्ञानवापी जैसे विवाद चल रहे हैं। लेकिन इन विवादों के बीच आजादी के बाद सोमनाथ मंदिर का मामला भी काफी सुर्खियों में रहा था। जिसे आजाद भारत की सरकार ने आसानी से सुलझा दिया था। तो आइए जानते हैं कि आधुनिक सोमनाथ मंदिर का निर्माण कैसे हुआ..
कई बार तोड़ा गया सोमनाथ मंदिर
सोमनाथ को भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है। गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थित इस मंदिर की मौजूदगी का जिक्र वेदों में भी मिलता है। खोजों से पता चलता है कि साल 1026 में महमूद गजनवी ने एक बड़े हमले में इस मंदिर को ध्वस्त कर दिया था बाद में इस पर मुगलकाल तक करीब 17 हमले हुए। अंग्रेजों के 200 साल के शासन के दौरान सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण पर किसी का ध्यान नहीं दिया। लेकिन आजादी के बाद जब जूनागढ़ रियासत का भारत में विलय हुआ, तब तत्कालीन उप-प्रधानमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण की कोशिशें से शुरू की। इस मंदिर के निर्माण के लिए आर्किटेक्ट प्रभाशंकर सोमपुरा को बुलाया गया और सोमनाथ से 28 किमी दूर चोरवाड से चूनापत्थर मंगाए गए। तत्कालनीन राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने मंदिर का शिलान्यास किया था। और उसके बाद इसका निर्माण कार्य हुआ।
हालांकि सोमनाथ मंदिर को लेकर मंदिर-मस्जिद विवाद जैसी स्थिति नहीं थी। वहां पर मामला यही रहा कि उसे बार-बार तोड़ा गया। ऐसे में उसके पुनर्निर्माण में मुस्लिम पक्ष के तरफ से कोई दिक्कत नहीं आई।
कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद, दिल्ली
दिल्ली में बने कुतुब मीनार परिसर के अंदर कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद स्थित है। इसका निर्माण गुलाम वंश के संस्थापक कुतुबुद्दीन ऐबक ने कराया था। कई इतिहासकारों का मत है कि कि कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद का निर्माण करीब 27 हिंदू और जैन मंदिरों को तोड़ करके किया गया था। अब विश्व हिंदू परिषद ने मांग की है कि सरकार कुतुब मीनार परिसर में प्राचीन मंदिरों का पुनर्निर्माण करे और वहां हिंदू रीति-रिवाजों और प्रार्थनाओं को फिर से शुरू करने की अनुमति दे। इस बीच यूनाइटेड हिंदू फ्रंट ने कुतुब मीनार का नाम विष्णु स्तंभ रखने की मांग की है।
कमल मौला मस्जिद, धार, मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश के जिले में स्थित कमल मौला मस्जिद पर भी विवाद है। हिंदू धर्म के लोग इसे भोजशाला कहते है। और उनका कहना है यह माता सरस्वती का प्राचीन मंदिर हैं, जबकि मुस्लिम इसे अपनी इबादतगाह यानी मस्जिद बताते हैं। इसको लेकर कई बार धार में सांप्रदायिक तनाव भी फैल चुका है। माना जाता है कि भोजशाला मंदिर का निर्माण हिंदू राजा भोज ने 1034 ईसवी में कराया था। इस पर पहले 1305 में अलाउद्दीन खिलजी ने हमला किया। और इसके बाद महमूदशाह ने भोजशाला पर हमला करके कमल मौला मस्जिद बना दिया।1997 से पहले हिंदुओं को यहां पूजा करने का अधिकार नहीं था। केवल दर्शन करने की इजाजत थी। लेकिन अब हिंदुओं को हर मंगलवार और वसंत पंचमी पर पूजा करने और मुस्लिमों को हर शुक्रवार को नमाज पढ़ने की इजाजत दी है।
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अदीना मस्जिद, पश्चिम बंगाल
पश्चिम बंगाल के मालदा जिले में स्थित अदीना मस्जिद को लेकर भी विवाद है। इसका निर्माण 14 वीं शताब्दी में सिकंदर शाह ने कराया था। हिंदू पक्ष का मानना है कि भगवान शिव के प्राचीन आदिनाथ मंदिर को तोड़ कर अदीना मस्जिद बनवाई थी।
अटाला मस्जिद, उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में स्थित अटाला मस्जिद को लेकर विवाद है। इस मस्जिद का निर्माण 1408 में इब्राहिम शर्की ने कराया था। ऐसा माना जाता है कि इब्राहिम ने जौनपुर में स्थित अटाला देवी मंदिर को तोड़कर वहां अटाला मस्जिद बनाई गई थी।