हरिद्वार में धर्म संसद में हेट स्पीच मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी किया है। मामले में याचिकाकर्ताओं ने बताया कि इस तरह की सभाओं के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए नोडल अधिकारियों को नियुक्त करने के लिए पहले के फैसलों में आदेश पारित किए गए थे। इस मामले में याचिकाकर्ताओं ने कहा कि किसी भी नोडल अधिकारी की नियुक्ति नहीं की गई है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं हो रहा है।
'इंडिया टुडे' की खबर के अनुसार, याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने भी कहा कि और धर्म संसदों की घोषणा की गई है। अगली संसद से पहले कुछ करने की जरूरत है। सिब्बल ने बुधवार को अदालत से कहा कि इस मामले पर तत्काल सुनवाई की जरूरत है। ऊना, डासना, अलीगढ़ में ऐसे समय में और धर्म संसदों की घोषणा की गई है जब राज्य में चुनाव चल रहे हैं। इससे माहौल खराब होगा। यह हिंसा को उकसाने वाला है।
17 से 19 दिसंबर तक उत्तराखंड के हरिद्वार में आयोजित तीन दिवसीय धर्म संसद के दौरान अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ भड़काऊ और सांप्रदायिक भाषण दिए गए थे। कई हिंदू धार्मिक नेताओं ने मुसलमानों के खिलाफ हथियार उठाने का आह्वान किया। सभा में यति नरसिंहानंद ने कथित तौर पर कहा कि हिंदू ब्रिगेड को बड़े और बेहतर हथियारों से लैस करना मुसलमानों के खतरे के खिलाफ समाधान होगा।
धर्म संसद के नाम पर ये कैसी बोली? नफरत फैलाने वाले अब तक आजाद क्यों?
सुप्रीम कोर्ट के 76 वकीलों ने भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना को पत्र लिखकर इन नफरते भरे भाषणों के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेने की मांग की थी।
जावेद अख्तर ने पूछा-चुप क्यों हैं प्रधानमंत्री, क्या यही है सबका साथ? धर्म संसद का मुद्दा उठाया