- हेट स्पीच केस में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड और हिमाचल दोनों सरकारों को लगाई फटकार
- नए सिरे से हलफनामा दायर करने के निर्देश
- 27 अप्रैल को उत्तराखंड के रूड़की में धर्म संसद
हेट स्पीच मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड और हिमाचल सरकार की खिंचाई थी। अदालत ने पूछा कि जब आप जानते हैं कि धर्म संसद जैसे कार्यक्रम होने वाले हैं तो आप लोगों ने उसे रोकने के लिए कदम क्यों नहीं उठाए। सुप्रीम कोर्ट हिमाचल प्रदेश के उना में धर्म संसद पर टिप्पणी की। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2018 में गाइडलाइंस जारी की जा चुकी है। आप किस विश्वास की बात कर रहे हैं, क्या यही विश्वास है, हमने आप पर भरोसा किया। लेकिन जमीन पर जो नजर आ रहा है वो तो एकदम अलग है। अदालत इस विषय पर उत्तराखंड और हिमाचल सरकार से हलफनामा चाहता है।
अदालत में जिरह
- सिब्बल : वहां भी कुछ नेताओं ने अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया. यह 19 अप्रैल को आयोजित किया गया था
- जो कुछ कहा गया था, मैं यहाां ज़ोर से नहीं पढ़ना चाहता। आपका आधिपत्य इसे पढ़ सकता है
- जस्टिस खानविलकर: इस गतिविधि को रोकना होगा।
- एचपी वकील: धर्म संसद खत्म हो गया है
- एससी: हम देखना चाहते हैं कि कोई निवारक कदम उठाया गया है या नहीं। हलफनामा दाखिल करें और बताएं कि क्या कदम उठाए गए। ये घटनाएं अचानक नहीं, रातों-रात होती हैं। इनकी घोषणा पहले से की जाती है। आपने तुरंत कदम नहीं उठाया? पहले से ही दिशा-निर्देश मौजूद हैं
- सिब्बल ने कहा कि रिपोर्टों के अनुसार यति नरसिंहानंद सरस्वती ने हिमाचल प्रदेश के ऊना में एक धार्मिक सम्मेलन में एक और अभद्र भाषा दी, जो उनकी जमानत शर्तों का उल्लंघन है।
- नरसिंहानंद ने कहा खा कि हिंदू समाज पतन की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने आगे कहा कि देश की राजनीतिक व्यवस्था का झुकाव मुसलमानों की ओर था और इसीलिए हिंदुओं के साथ बुरा व्यवहार किया जा रहा था। उन्होंने आगे कहा कि हिंदुओं को अधिक बच्चे पैदा करने चाहिए और उन्हें मजबूत बनाना चाहिए ताकि वे अपने परिवारों की रक्षा कर सकें।
- उत्तराखंड के वकील: हम निवारक कदम उठा रहे हैं।
- जस्टिस खानविलकर: ये कैसी दलीलें हैं? यह अदालत में बहस करने का तरीका नहीं है
- आदेश: सिब्बल का कहना है कि कल रुड़की में कार्यक्रम की योजना है
रुड़की में 27 अप्रैल को धर्म संसद
अब सिब्बल ने रुड़की में धर्म संसद पर रोक लगाने की मांग की है। जस्टिस खानविलकर ने कहा कि 2018 का फैसला है कि आप सिर्फ दिशानिर्देशों को लागू करें। गृह सचिव, पुलिस आईजी से भी संपर्क करें। आप किस भरोसे की बात कर रहे हैं? एक भरोसा है..हम आप पर भरोसा करते हैं लेकिन जमीन पर जो हम देख रहे हैं वह कुछ अलग है।
दिल्ली पुलिस को लग चुकी है फटकार
उत्तराखंड के काउंसिलफ का कहना है कि सभी निवारक उपाय किए गए और संबंधित अधिकारियों को विश्वास है कि कोई भी अप्रिय घटना होगी और जो भी आवश्यक होगा, सभी कदम उठाए जाएंगे। हम उत्तराखंड के मुख्य सचिव को सुधारात्मक उपायों के बारे में बताने का निर्देश देते हैं। बता दें कि धर्म संसद के मामले में ही सुप्रीम कोर्ट दिल्ली पुलिस को फटकार लगा चुकी है।