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Hathras Case: हाथरस को लेकर वेबसाइट के जरिए रची गई थी इतनी बड़ी साजिश, जानकर आप भी रह जाएंगे हैरान

Updated Oct 05, 2020 | 13:12 IST

हाथरस मामले को लेकर यूपी की योगी सरकार लगातार विपक्ष के निशाने पर है। अब इस मामले में एक ऐसा खुलासा हुआ है जिससे यह प्रतीत होता है कि वहां इसके बहाने जातीय हिंसा भड़काने की तैयारी थी

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खुलासा: हाथरस के बहाने ऐसे थी जातीय हिंसा भड़काने की साजिश
मुख्य बातें
  • हाथरस के बहाने थी जातीय हिंसा भड़काने की साजिश, अचानक बनी वेबसाइट में दिए गए थे टिप्स
  • इस वेबसाइट में देश फर्जी तस्वीरें और फर्जी न्यूज शेयर किए गए थे
  • सुरक्षा एजेंसियों के सक्रिय होते ही बंद हुई वेबसाइट

नई दिल्ली: हाथरस मामले को लेकर रविवार को यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि इसके बहाने कुछ लोग प्रदेश की कानून व्यवस्था खराब करना चाहते हैं। अब इस मामले को लेकर एक नया खुलासा हुआ है। सुरक्षा एजेंसियों के इस हाथ के सबूत लगे हैं जिसमें कहा जा रहा है कि हाथरस की घटना का इस्तेमाल करके उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार को जातिगत आधार पर बदनाम करने की साजिश रची गई थी और इसी बहाने दंगे भड़काने की भी कोशिश की गई थी।

अचानक बनी वेबसाइट

सरकारी सूत्रों ने कहा कि एजेंसियों ने एक ऐसी वेबसाइट का पता लगाया है जिसमें हाथरस को लेकर कई जानकारियां दी गई थी। justiceforhathrasvictim.carrd.co नाम से अचानक बनी इस वेबसाइट में बताया गया था कि कैसे सुरक्षित रूप से विरोध किया जाए और पुलिस के चंगुल से बचा जाए। इसके साथ-साथ इसमें सभी लोगों से जुड़ने का आग्रह किया। इसके अलावा इसमें बताया गया था कि क्या करना है और क्या नहीं। वहीं इसमें दंगों के दौरान सुरक्षित रहने और आंसू गैस के गोले दागने और गिरफ्तारी होने पर उठाए जाने वाले कदमों का जिक्र किया गया है। 

ऐसी थी योजना

 इस संबंध में पुलिस ने आईपीसी, आईटी अधिनियम, और अन्य के कई प्रासंगिक धाराओं के तहत एक मामला 3 अक्टूबर को दर्ज किया है। इस वेबसाइट में देश भर में दिल्ली, कोलकाता, अहमदाबाद जैसी जगहों पर विरोध प्रदर्शन और मार्च आयोजित करने पर जोर दे गया था। फर्जी आईडी का इस्तेमाल करके कुछ ही घंटों में हजारों लोग इस वेबसाइट से जुड़ गए। इसके यूजर्स को सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर हाथरस की घटना के बारे में गलत सूचना और अफवाह फैलाते हुए पाया गया है।

वेबसाइट हुई बंद

 सुरक्षा एजेंसियों के सक्रिय होते ही वेबसाइट ने अपना परिचालन बंद कर दिया और वेबसाइट बंद कर दी है। हालांकि, उन पर अपलोड की गई जानकारी एजेंसियों के पास सुरक्षित है। वेबसाइट से कई फोटोशॉप्ड चित्र, फेक न्यूज और एडिटेट विजुअल भी बरामद किए गए हैं। यूपी सरकार के सूत्रों के मुताबिक, वेबसाइट को इस्लामिक देशों से भारी फंडिंग मिल रही थी और एमनेस्टी इंटरनेशनल के साथ उनके लिंक की भी जांच की जा रही है। यह भी संदेह किया जा रहा है कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई), जो नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के विरोध प्रदर्शन के दौरान दंगों में शामिल पाए गए थे, वो भी इसमें शामिल थे।

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