नई दिल्ली: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन 18 और 19 मई को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की विश्व स्वास्थ्य सभा में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे।
इस बार विश्व स्वास्थ्य सभा की बैठक का केंद्र कोरोनो वायरस होगा। बैठक में सभी 194 डब्ल्यूएचओ सदस्य राज्यों और पर्यवेक्षकों द्वारा भाग लिया जाएगा। विश्व स्वास्थ्य सभा हर साल मई में जेनेवा में होती है। इस साल कोरोना वायरस के कारण यह एक वर्चूअल बैठक होगी।
बैठक में डब्ल्यूएचओ इस घातक बीमारी के बारे में चिंताओं को लेकर चर्चा करेगा। इस खतरनाक महामारी की तैयारियों को लेकर WHO कई देशों के निशाने पर है और उस पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की भूमिका पर भी लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं। डब्ल्यूएचओ पर आरोप है कि उसने इस वायरस को लेकर देरी से चेतावनी जारी की थी। जारी एक परिपत्र के अनुसार, डब्ल्यूएचओ ने कोविड-19 महामारी को नियंत्रित और कम करने के लिए सभी स्तरों पर एकता और एकजुटता का आह्वान किया है। संगठन ने सदस्य सदस्यों से आह्वान किया है कि वे प्रकोप के प्रभाव से निपटने के लिए तात्कालिक और दीर्घकालिक दोनों तरह की कार्ययोजना तैयार करें।
वहीं बैठक से पहले भारत समेत 62 देशों ने एक मसौदा प्रस्ताव पेश किया है जिसमें कोरोना वायरस के दौरान WHO के कामकाज की निष्पक्ष, स्वतंत्र, व्यापक और चरणबद्ध समीक्षा की बात कही गई है। इस प्रस्ताव को विश्व स्वास्थ्य सभा में बैठक अनुमोदन के लिए रखा जाएगा। स्वतंत्र जांच की मांग करते हुए ऑस्ट्रेलिया की तरफ से ये ड्रॉफ्ट तैयार किया गया है, भारत के अलावा जापान, यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, न्यूजीलैंड, दक्षिण कोरिया, तुर्की, रूस, इंडोनेशिया, मैक्सिको, ब्राजील और सभी 27 यूरोपीय संघ के सदस्यों द्वारा इसे समर्थन दिया गया है।
रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया सहित देशों द्वारा चीन के खिलाफ जांच की मांग करने की संभावना है। इन देशों के नेताओं ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि वे एक जांच चाहते हैं, जिसमें वायरस की उत्पत्ति की जांच शामिल है। हाल ही में जर्मनी के एक समाचार पत्र 'डेर स्पीगल' ने बड़ा खुलासा करते हुए दावा किया कि चीन ने कोरोना वायरस को लेकर डब्ल्यूएचओ को वैश्विक चेतावनी जारी करने में देरी का आग्रह किया था।
चीन के वुहान से शुरू हुआ कोरोना वायरस आज पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले चुका है। दुनियाभर में कोरोना वायरस के 40 लाख से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं और 3 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।