महाराष्ट्र के गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी की मुश्किलें बढ़ गई हैं, उन्हें उत्तराखंड हाई कोर्ट की अवमानना का नोटिस जारी हुआ है गौरतलब है कि रूरल लिटिगेशन एंड एंटाइटेलमेंट केंद्र (रूलक) ने मामले में उत्तराखंड हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने पिछले साल पूर्व मुख्यमंत्रियों से सरकारी आवास तथा अन्य सुविधाओं के एवज में बकाया किराया 6 महीने के भीतर जमा करने का आदेश दिया था।
कोश्यारी ने कोर्ट के आदेश के मुताबिक, अपना बकाया किराया जमा नहीं किया, जिस वजह से मंगलवार को कोर्ट ने उनके खिलाफ नोटिस जारी किया है। मंगलवार को उत्तराखंड हाई कोर्ट ने यह नोटिस जारी कर कोश्यारी को 4 हफ्ते के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है। शरद कुमार शर्मा की पीठ ने एक गैर-सरकारी संगठन (NGO) की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह नोटिस जारी किया है।
रूलक ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी
बताया जा रहा है कि रूरल लिटिगेशन एंड एन्टाइटलमेंट केंद्र (रूलक) ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। इसके बाद हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवास और अन्य सुविधाओं का बकाया छह माह के भीतर जमा करने के निर्देश दिए थे, पूर्व के आदेश का पालन नहीं करने पर रूलक ने हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की थी।
कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि आदेश का अनुपालन क्यों नहीं किया गया
वहीं केंद्रीय शिक्षा मंत्री व पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक बिजली, पानी का करीब 11 लाख रुपये बकाया जमा कर चुके हैं। कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि आदेश का अनुपालन क्यों नहीं किया गया। कोर्ट ने कहा था कि क्यों न इनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाए। रुलक संस्था ने पूर्व मुख्यमंत्री व महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को संवैधानिक पद पर होने की वजह से संविधान के अनुछेद 361 के तहत नोटिस भेजा था। इसके तहत राज्यपाल व राष्ट्रपति के खिलाफ अवमानना याचिका दायर करने से दो माह पहले सूचना देनी होती है। याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री कोश्यारी पर आवास और अन्य सुविधाओं का बाजार दर से 47 लाख 57 हजार, 758 रुपये बकाया है।