- स्वदेशी मुस्लिम सहमत हैं कि जनसंख्या वृद्धि विकास के लिए खतरा: हेमंत बिस्वा सरमा
- असम के मुख्यमंत्री ने की मुस्लिम समुदाय के बुद्धिजीवियों से मुलाकात
- जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर सीएम लगातार कर रहे हैं चर्चा
गुवाहाटी: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने रविवार को कहा कि अगर असम को देश के शीर्ष पांच राज्यों में से एक बनना है तो जनसंख्या विस्फोट के खतरे से निपटना होगा। सरमा गुवाहाटी में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। सरमा ने रविवार को विभिन्न क्षेत्रों से 150 से अधिक मुस्लिम हस्तियों से मुलाकात की और समुदाय के सामाजिक-आर्थिक मुद्दों पर चर्चा की। इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक सरमा ने कहा, "हमने स्वदेशी अल्पसंख्यक समुदाय के सामने आने वाले कई मुद्दों पर चर्चा की और यह सहमति हुई कि असम के कुछ हिस्सों में जनसंख्या विस्फोट ने असम के विकास के लिए एक वास्तविक खतरा पैदा कर दिया है।'
बनाए जाएंगे आठ समूह
सरमा ने बताया कि स्वास्थ्य, शिक्षा, जनसंख्या स्थिरीकरण, सांस्कृतिक पहचान, वित्तीय समावेशन, महिला सशक्तिकरण और कौशल विकास पर स्वदेशी मुस्लिम समुदाय के सदस्यों को शामिल करते हुए आठ उप-समूह बनाए जाएंगे। प्रत्येक समिति तीन महीने के भीतर सिफारिशें देगी। उन्होंने कहा, 'उसके बाद, हम अगले पांच वर्षों के लिए एक रोडमैप तैयार करने के लिए फिर से बैठेंगे।'
विभिन्न संगठनों ने लिया बैठक में हिस्सा
रविवार की बैठक में जहां लेखकों, डॉक्टरों, सांस्कृतिक कार्यकर्ताओं, व्याख्याताओं, इतिहासकारों, संगीतकारों सहित अन्य लोगों ने हिस्सा लिया, वहीं अगले दौर की बैठक अल्पसंख्यक समुदाय के राजनेताओं और छात्र संगठनों के साथ होगी। सरमा ने कहा कि बैठक में जोर दिया गया कि स्वदेशी असमिया मुसलमानों की विशिष्टता को संरक्षित किया जाना चाहिए। बैठक के दौरान अल्पसंख्यक एवं विकास विभाग के कल्याण मंत्री चंद्र मोहन पटोवरी, शिक्षा मंत्री डॉ रनोज पेगू और सीएम राजनीतिक सचिव जयंत मल्ला बरुआ भी मौजूद थे।
34.2 फीसदी है आबादी
सरमा ने कहा कि वह जल्द ही इसी तरह की चर्चा के लिए असम के बंगाली मूल के मुस्लिम समुदाय के सदस्यों से मिलेंगे। उन्होंने कहा कि दोनों समुदायों के बीच भाषा में, संस्कृति में... एक अलग सांस्कृतिक अंतर है। हम दोनों की पहचान का सम्मान करते हैं।आपको बता दें कि 2011 की जनगणना के अनुसार, मुस्लिम असम की 3.12 करोड़ आबादी में 34.2 प्रतिशत मुस्लिम हैं, पिछले दो दशकों में मुस्लिम आबादी की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) लगातार गिर रही है। 1