- चक्रवाती तूफानों के नामकरण के लिए एक खास प्रक्रिया अपनाई जाती है
- तमिलनाडु, पुडुचेरी में तबाही मचाने वाले 'निवार' का नामकरण ईरान ने किया था
- भारत ने भी समुद्री तूफानों को लेकर गति, तेज सहित कई नाम सुझाए हैं
नई दिल्ली : तमिलनाडु के कराईकल और पुडुचेरी में चक्रवाती तूफान निवार से भारी तबाही हुई है। तमिलनाडु में जहां तीन लोगों की जान चली गई है, वहीं संपत्ति का भी बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है। निवार कोई पहला चक्रवात नहीं है, जिसके कारण इतने बड़े पैमाने पर यहां तबाही हुई है। इससे पहले एम्फन, निसर्ग और फणि जैसे चक्रवाती तूफानों के कारण भी भारत में बड़ा नुकसान हो चुका है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि चक्रवाती तूफानों के नाम कैसे रखे जाते हैं? यहां हम इसी बारे में बताने जा रहे हैं कि आखिर समुद्री तूफानों के नाम रखने के लिए कौन सी प्रक्रिया अपनाई जाती है।
दुनियाभर में क्रवातों का नाम RSMCs (क्षेत्रीय विशिष्ट मौसम विज्ञान केंद्र) और TCWCs (ट्रॉपिकल साइक्लोन वार्निंग सेंटर) द्वारा दिए जाते हैं। IMD सहित कुल छह RSMCs और पांच TCWCs हैं। आईएमडी को मानक प्रक्रिया का पालन करते हुए अरब सागर और बंगाल की खाड़ी सहित उत्तर हिंद महासागर में विकसित होने वाले चक्रवातों को नाम देने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसे चक्रवाती तूफान के संबंध में क्षेत्र में परामर्श जारी करने के लिए भी कहा गया है।
कैसे होता है चक्रवातों का नामकरण?
आमतौर पर तूफानों के नाम वर्णमाला क्रम में रखे जाते हैं। हिंद महासागर क्षेत्र के लिए चक्रवातों का नामकरण वर्ष 2000 में शुरू हुआ और साल 2004 में इसके लिए एक फॉर्मूले पर सहमति बनी। क्षेत्र में आठ देश - थाईलैंड, श्रीलंका, पाकिस्तान, ओमान, म्यांमार, मालदीव, बांग्लादेश और भारत हैं, जो चक्रवाती तूफान के आने को देखते हुए उसका नामकरण करते हैं। इस सूची को 2018 में विस्तृत किया गया और उत्तर हिंद महासागर क्षेत्र में 5 अन्य देशों- ईरान, कतर, सऊदी अरब, यूएई और यमन को जोड़ा गया।
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) के दिशानिर्देशों के अनुसार, हर क्षेत्र के देशों को चक्रवातों के लिए नाम देने होते हैं। उत्तर हिंद महासागर क्षेत्र में 13 देश- बांग्लादेश, भारत, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, श्रीलंका, थाईलैंड, ईरान, कतर, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और यमन शामिल हैं, जहां बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में चक्रवाती तूफान की स्थिति बनती है। इस साल प्रत्येक सदस्य ने चक्रवातों के लिए 13-13 नाम सुझाए, जिसके बाद कुल नाम 169 हो गए।
ईरान ने सुझाया था 'निवार' नाम
प्रत्येक सदस्य का नाम वर्णानुक्रम में सूचीबद्ध होता है, जिसके बाद चक्रवात के नामों का क्रमिक रूप से स्तंभ-वार उपयोग किया जाता है। निवार उत्तर हिंद महासागर क्षेत्र के लिए सूचीबद्ध चक्रवात का तीसरा नाम है, जिसे ईरान ने सुझाया था। इसका अर्थ है रोकथाम करना। इस साल भारत ने जो नाम सुझाए हैं, उनमें गति, तेज, मरासु (तमिल में वाद्य यंत्र), आग, नीर आदि शामिल हैं। अप्रैल 2020 में सदस्य देशों द्वारा दिए गए कुछ अन्य चक्रवाती तूफानों के नाम ब्यूरिवी (मालदीव), ताउक्ते (म्यांमार), यास (ओमान) और गुलाब (पाकिस्तान) हैं।
इससे पहले निसर्ग तूफान का नामकरण बांग्लादेश ने किया था, जिसका अर्थ प्रकृति था। नवंबर 2017 में आए ओखी चक्रवात का नाम भी बांग्लादेश ने ही दिया था, जिसका अर्थ आंख होता है। सागर नाम भारत ने सुझाया था। सोमालिया में तीन दिन पहले 22 नवंबर को आए चक्रवाती तूफान का नाम 'गति' दिया गया, जिसे भारत ने सुझाया था।