- धर्मनिरपेक्षता के नाम पर हो रहा है पाखंड
- बीजेपी के साथ नीतीश और ममता साथ थे
- धर्मनिरपेक्ष होने की दुहाई दे रहे हैं अब
2024 के आम चुनाव में क्या विपक्ष एक हो पाएगा। यह सवाल इसलिए अहम है क्योंकि विपक्ष की तरफ से खेमेबंदी तो हो रही है। लेकिन चेहरा कौन होगा साफ नहीं है। मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष धर्मनिरपेक्षता, नफरत की बात तो कर रहा है। लेकिन विपक्षी नेता ही एकदूसरे को टक्कर दे रहे हैं। हाल ही में जब नीतीश कुमार और ममता बनर्जी ने धर्मनिरपेक्षता के मुद्दे पर एक साथ आने की अपील की गई तो असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि आखिर पाखंड क्यों किया जा रहा है।
आखिर धर्मनिरपेक्षता के नाम पर पाखंड क्यों
एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि जब हम अल्पसंख्यक समाज के विकास की बात करते हैं, उनके लिए न्याय की गुहार लगाते हैं तो हम लोगों के बारे में बकवास बयान दिए जाते हैं। यह तो एक तरह का पाखंड है कि जो लोग खुद को धर्मनिरपक्ष होने का विशेषज्ञ बताते हैं वो अब बताएंगे कि कौन धर्मनिरपेक्ष और कौन सांप्रदायिक है। देश देख रहा है।
नीतीश- ममता का बीजेपी के साथ रहने का इतिहास
नीतीश कुमार जब मुख्यमंत्री बने वो बीजेपी के साथ थे। गोधरा कांड जब हुआ तो वो बीजेपी के साथ थे। 2015 में बीजेपी का साथ छोड़ दिया। 2017 में वापस आ गए। 2019 का चुनाव उन्होंने नरेंद्र मोदी को पीएम बनाने के लिए साथ लड़ा। अब वो एक बार फिर साथ छोड़ चुके हैं। वही हाल ममता बनर्जी के साथ है। वो भी पहले एनडीए का हिस्सा रह चुकी हैं और आरएसएस की प्रशंसा करती रही हैं।
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