- महाराष्ट्र में हनुमान चालीसा के पाठ पर विवाद काफी बढ़ गया है
- निर्दलीय सांसद नवनीत राणा का कहना है कि उन्हें पीने के लिए पानी नहीं दिया
- अमरावती की सांसद ने लोकसभा के स्पीकर ओम बिड़ला को पत्र लिखा है
Navneet Rana : हनुमान चालीसा विवाद में जेल में बंद अमरावती की सांसद नवनीत राणा ने उद्धव सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। राणा ने कहा है कि पुलिस ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया है। नवनीत का कहना है कि उनके साथ मौजूद राज्य सरकार के पुलिसकर्मियों ने उनसे कहा कि चूंकि वह पिछड़ी जाति से आती हैं इसलिए वे उन्हें उसी गिलास जिससे सभी पानी पीते हैं, उसमें पीने के लिए पानी नहीं दे सकते। निर्दलीय सांसद का कहना है कि 'मुझे मेरी जाति के आधार पर अपमानित किया गया और मुझे पानी नहीं दिया गया।'
'हिंदुत्व की विचारधारा से भटक गई है शिवसेना'
नवनीत राणा ने लोकसभा के स्पीकर ओम बिड़ला को लिखे पत्र में कहा है कि 'मैं जोर देकर बताना चाहती हूं कि नीची जात से ताल्लुक रखने के आधार पर मुझे पानी जैसी बुनियादी मानव अधिकार से वंचित किया गया।' सांसद ने कहा कि उद्धव सरकार के नेतृत्व में शिवसेना हिंदुत्व की विचारधारा से अलग हो गई है। ऐसा उसने सत्ता में आने के लिए किया। उसने जनादेश का भी अपमान किया है।
हम संघर्ष करेंगे-फड़णवीस
इससे पहले राज्य के पूर्व सीएम देवेंद्र फड़णवीस ने भी संवाददाता सम्मेलन में राणा के साथ हुई कथित बदसलूकी का मामला उठाया। उन्होंने कहा, 'एक महिला सांसद को वाशरूम में जाने की इजाजत नहीं दी गई। उन्हें पीने के लिए पानी नहीं दिया गया। यहां बदले की कार्रवाई की जा रही है। सत्ता में बैठे लोग अहंकारी हो गए हैं, वे लोकतंत्र को कुचलकर अपना राज चलाना चाहते हैं। हम कहना चाहते हैं कि हम डरेंगे नहीं, हम संघर्ष करेंगे और भ्रष्टाचार सामने लाएंगे। हम भी वैसा जवाब दे सकते हैं लेकिन पुलिस अगर सरकार के साथ मिलकर हमारे ऊपर हमला करेगी तो यह समझना चाहिए बंगाल में हमारे सैकड़ों कार्यकर्ता मार दिए गए फिर भी हम चुप नहीं बैठे।'
प्रेस कॉन्फ्रेंस में फड़णवीस ने पढ़ा हनुमान चालीसा, पूछा-पाठ यहां नहीं होगा तो क्या पाक में होगा
'सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन हो'
फड़णवीस ने कहा कि जहां तक लाउडस्पीकर का प्रश्न है तो इस मामले में सुप्रीम कोर्ट एवं हाई कोर्ट के आदेश का पालन होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन यदि हिंदू समाज करता है तो अन्य समाजों को भी करना चाहिए। यदि कोई शीर्ष अदालत के आदेश का पालन नहीं करता है तो पुलिस को कार्रवाई करनी चाहिए।