- कई क्षेत्रों में संयुक्त परियोजनाएं की पहचान, आगे बढ़ने का रोडमैप भी रेडी- PM
- इज़राइल के प्रधानमंत्री ने कहा- हम दुनिया को बेहतरी के लिए चाहते हैं बदलना
- 'चार अलग-अलग देश होने के बावजूद यह स्पष्ट है कि हम सभी एक ही चीज चाहते'
I2U2 Summit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार (14 जुलाई, 2022) को आईटूयूटू वर्चुअल शिखर सम्मेलन को संबोधित किया। उन्होंने दिल्ली से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कहा- आज की इस पहली समिट से ही आईटूयूटू ने एक पॉजिटिव (सकारात्मक) एजेंडा स्थापित कर लिया है। हमने कई क्षेत्रों में संयुक्त परियोजनाएं की पहचान की है और उनमें आगे बढ़ने का रोडमैप भी बनाया है।
पीएम ने आगे बताया, "आईटूयूटू फ्रेमवर्क के तहत जल, ऊर्जा, परिवाहन, स्वास्थ्य, स्पेस और खाद्य सुरक्षा के लिए छह महत्वपूर्ण क्षेत्रों में संयुक्त निवेश बढ़ाने के लिए सहमत हुए हैं।" उनके मुताबिक, बढ़ती वैश्विक अनिश्चिताओं के बीच हमारा कॉपरेटिव फ्रेमवर्क व्यावहारिक सहयोग का एक अच्छा मॉडल है। पूरा विश्वास है कि आईटूयूटू से हम वैश्विक स्तर पर ऊर्जा सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा और आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण योगदान करेंगे।
'दुनिया को बेहतर के लिए बदलना चाहते हैं हम'
समूह की पहली नेताओं की बैठक में इज़राइल के प्रधानमंत्री यायर लापिड भी मौजूद रहे। उन्होंने कहा, "वास्तविक समाधान केवल उन देशों के माध्यम से आएगा, जो संसाधनों को एक साथ लाना जानते हैं। हम दुनिया को बेहतर के लिए बदलना चाहते हैं। हमारा लक्ष्य निजी बाजार को भागीदार बनाना है। चार अलग-अलग देश होने के बावजूद यह स्पष्ट है कि हम सभी एक ही चीज चाहते हैं, जिसमें बुनियादी ढांचे का विकास, बच्चों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा शामिल है और पर्यावरण को होने वाले नुकसान को कम करना है।"
US राष्ट्रपति ने छेड़ा जलवायु-यूक्रेन संकट का मुद्दा
वहीं, समूह की पहली नेताओं की बैठक में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अपनी बात रखते हुए कहा- आज हम जिन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं उनमें तेजी से जलवायु संकट या बढ़ती खाद्य असुरक्षा शामिल है...यूक्रेन के खिलाफ रूस के क्रूर हमले से अस्थिर बाजारों को और भी बदतर बना दिया गया है।
क्या है I2U2 और इसका मकसद?
आईटूयूटू का मतलब भारत, इराइल, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और अमेरिका (यूएस) है। भारत में यूएई के राजदूत अहमद अल्बन्ना की ओर से इसे 'पश्चिम एशियाई क्वाड' के रूप में भी जाना जाता है। दरअसल, अक्टूबर 2021 में जब विदेश मंत्री एस जयशंकर इज़राइल के दौरे पर थे, तब चार देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक हुई थी। उस समय इस ग्रुप को 'आर्थिक सहयोग के लिए अंतर्राष्ट्रीय मंच' कहा जाता था। इस समूह का मुख्य मकसद "पारस्परिक हित के सामान्य क्षेत्रों, संबंधित क्षेत्रों और उसके बाहर व्यापार और निवेश में आर्थिक साझेदारी को मजबूत करने" पर चर्चा करना है।