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70 KM तक दुश्मन के लिए 'काल' बन जाएगी Barak 8, रक्षा मंत्री ने IAF को सौंपी MRSAM मिसाइल

Updated Sep 10, 2021 | 08:45 IST

MRSAM : रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत जिसे दुनिया में नंबर एक रक्षा आयातक बताया जाता है आज विदेशों में रक्षा प्रणालियों और उप-प्रणालियों की आपूर्ति कर रहा है जो कि गर्व की बात है।

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वायु सेना को मिली वायु रक्षा प्रणाली बराक 8।
मुख्य बातें
  • जैसलमेर में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को वायु सेना को दिया यह रक्षा कवच
  • 70 किलोमीटर के दायरे में यह प्रणाली दुश्मन के हमलों को नाकाम करेगी
  • एक साथ कई लक्ष्यों को निशाना बना सकती है कि बराक-8 रक्षा प्रणाली

नई दिल्ली : भारतीय वायु सेना (IAF) के तरकश में एक नया हथियार शामिल हुआ है। इस नए हथियार का नाम MRSAM है। मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली इस मिसाइल के शामिल हो जाने से वायु सेना की ताकत अब कई गुना बढ़ गई है। इस मिसाइल सिस्टम को बराक आठ एयर डिफेंस सिस्टम के नाम से भी जाना जाता है। यह मिसाइल प्रणाली 70 किलोमीटर के अपने दायरे में आने वाले दुश्मन के लड़ाकू विमानों, मिसाइल, हेलिकॉप्टर और यूएवी को नेस्तनाबूद कर देती है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को इस मिसाइल सिस्टम को वायु सेना को सौंपा। रक्षा मंत्री ने इस मिसाइल को 'गेम चेंजर बताया है।'

भारत-इजरायल ने मिलकर है बनाया
भारत और इजरायल ने मिलकर MRSAM अथवा बराक 8 को तैयार किया है। इस मिसाइल डिफेंस सिस्टम में उन्नत रडार, कमान एवं कंट्रोल सिस्टम और मोबाइल लॉन्चर्स हैं। मिसाइल को ताकत इसमें लगे रॉकेट मोटर देते हैं। जैसलमेर में मिसाइल प्रणाली को वायु सेना को सौंपते हुए राजनाथ सिंह ने कहा, 'भारतीय वायु सेना को एमआरएसएएम सिस्टम सौंपे जाने के साथ ही हमने 'आत्म निर्भर भारत' की दिशा में एक लंबी छलांग लगाई है। यह एमआरएसएएम वायु रक्षा में एक गेम चेंजर साबित होगा।' 

70 किलोमीटर तक अचूक मार करेगी यह प्रणाली
इस मिसाइल सिस्टम को इजरायल एरोस्पेस इंडस्ट्रीज और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने संयुक्त रूप से तैयार किया है। इसके निर्माण में इजरायल की राफेल, भारत इलेक्ट्रानिक्स लिमिटेड, भारत डायनामिक्स लिमिटेड और लॉर्सन एवं ट्यूब्रो ने भी सहयोग दिया है। रक्षा मंत्री ने कहा कि यह मिसाइस सिस्टम 70 किलोमीटर के अपने दायर में आने वाले एक साथ कई अलग-अलग लक्ष्यों को निशाना बनाने में सक्षम है। यह खराब मौसम में भी काम रता है। अपने परीक्षणों में यह साबित कर चुका है कि यह एक भरोसेमंद रक्षा प्रणाली है। 

कई युद्धपोतों पर लग चुकी है यह मिसाइल
एमआरएसएमएम का नौसैनिक संस्करण पहले ही कुछ भारतीय युद्धपोतों पर लगाया जा चुका है। सेना भी अपने यहां इस रक्षा प्रणाली को चाहती है हालांकि उसे यह अभी मिल नहीं सका है। रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत जिसे दुनिया में नंबर एक रक्षा आयातक बताया जाता है आज विदेशों में रक्षा प्रणालियों और उप-प्रणालियों की आपूर्ति कर रहा है जो कि गर्व की बात है। उन्होंने कहा, ‘हम ऐसे सभी उपाय कर रहे हैं जिससे हमारे रक्षा क्षेत्र को अपने पैरों पर खड़ा होने में मदद मिले।’

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