- डेल्टा, बीटे वैरिएंट्स पर कारगर है देसी कोवाक्सिन टीका
- आईसीएमआर के एक अध्ययन में सामने आई यह बात
- कोवाक्सिन टीका लगवा चुके लोगों के सैंपल की हुई जांच
नई दिल्ली : भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि कोरोना का स्वदेशी टीका कोवाक्सिन SARS-CoV-2 के वैरिएंट्स डेल्टा (B.1.617.2) और बीटा (B.1.351) के खिलाफ कारगर है। कोरोना वायरस के ये दोनों वैरिएंट्स लोगों के बीच तेजी से संक्रमण फैलाने के लिए जिम्मेदार माने गए हैं। आईसीएमआर के अध्ययन 'न्यूट्रलाइजेश अगेंस्ट B.1.617.2 एवं B.1.35 विथ सीरा ऑफ कोविड-19 रिकोवर्ड केसेज एवं वैक्सीन ऑफ बीबीवी152' को विशेषज्ञों ने अभी समीक्षा नहीं की है।
कोवाक्सिन टीका ले चुके लोगों की हुई जांच
यह अध्ययन कोवाक्सिन टीके की निष्प्रभावी क्षमता जानने के लिए किया गया। आईसीएमआर और पुणे स्थित राष्ट्रीय विषाणु संस्थान (एनआईवी) के वैज्ञानिकों ने कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों और कोवाक्सिन की दूसरी डोज ले चुके लोगों से लिए गए सैंपल्स की जांच की। कोवाक्सिन को हैदराबाद स्थित भारत बायोटके ने आईसीएमआर के साथ मिलकर बनाया है। कोवाक्सिन कोरोना के उन तीन टीकों में शामिल है जिन्हें देश में लगाया जा रहा है। सीरम का टीका कोविशील्ड और रूस का टीके स्पूतनिक-V लोगों को लग रहा है।
नए वैरिएंट्स पर विदेशी टीके भी कारगर
सीएनएन की एक रिपोर्ट में कुछ दिनों पहले कहा गया कि भारत में पहली बार सामने आए कोरोना वायरस के नए वैरिएंट्स बी.1.617 और बी,1.618 के खिलाफ फाइजर/बायोटेक एवं मॉडर्ना के टीके सुरक्षा प्रदान करते हुए पाए गए हैं। ऑनलाइन पोस्ट इस शोध में कहा गया है कि प्रयोगशाला के परीक्षणों के बाद यह पाया गया है कि टीकाकरण के बाद लोगों में बना एंटीबॉडी कोरोना वायरस के नए स्वरूपों-बी.1.617 और बी. 1.618 से सुरक्षा प्रदान करता दिखा है।
न्यूयार्क विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने इस रिसर्च पेपर में लिखा है, 'यह मानना तर्कसंगत है कि जिन लोगों को टीका लग चुका है वे कोरोना के नए वैरिएंट्स बी.1.617 और बी.1.618 से सुरक्षित रहेंगे।' साथ ही यह भी कहा गया है कि कोरोना वायरस के इन रूपों पर फाइजर/बायोटेक एवं मॉर्डना के टीके वास्तविक दुनिया में कितने कारगर हैं इसे जांचने के लिए और अध्ययन की जरूरत है।
प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं कोविशील्ड-कोवाक्सिन के टीके
कोरोना के टीके कोविशील्ड और कोवाक्सिन वायरस के खिलाफ काफी असरदार हैं। ये दोनों टीके शरीर में 95 प्रतिशत तक प्रतिरोधक क्षमता पैदा कर सकते हैं। इनके लगने के बाद व्यक्ति गंभीर रूप से बीमार नहीं पड़ता है। ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन कोविशील्ड भारत बॉयोटेक के टीके कोवाक्सिन के मुकाबले ज्यादा एंटीबॉडीज बनाती है।