लाइव टीवी

अगर सरकार 15 में से 12 संशोधनों पर सहमत तो मतलब साफ बिल में है खामी: राकेश टिकैत

Updated Dec 10, 2020 | 21:32 IST

भारतीय किसान यूनियन के राकेश टिकैत का कहना है कि अगर केंद्र सरकार हम लोगों के 15 में से 12 संसाधनों पर सहमत है तो इसका अर्थ यही है कि कृषि कानून को वापस लेना चाहिए क्योंकि उसमें खामी है।

Loading ...
राकेश टिकैत, भारतीय किसान यूनियन लीडर
मुख्य बातें
  • कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने एक बार फिर कृषि बिल के समर्थन में दिए तर्क
  • किसान संगठनों ने केंद्र सरकार के तर्क को ठुकराया
  • पीएम मोदी किसानों का नाम लिए बगैर बोले- किछु कहिए किछु सुनिए

नई दिल्ली। कृषि कानून के समर्थन में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने प्रेस कांफ्रेस में बिंदुवार बताया कि  किसानों के डर के पीछे कोई वजह नहीं है। सरकार ने कानून में जिन प्रावधानों को रखा है उससे किसान समृद्ध होगा। किसानों की जमीन पर कोई कब्जा नहीं कर पाएगा।लेकिन किसानों का कहना है कि वो इन कानूनों को वापस लेने से कम पर राजी नहीं है। 12 से 14 दिसंबर के बीच देशभर में व्यापक विरोध किया जाएगा और इसके साथ रेल ट्रैक को भी बंद किया जाएगा। 

15 में से 12 संशोधनों पर सहमति मतलब बिल खराब
कृषि कानून के मुद्दे पर भारतीय किसान यूनियन के राकेश टिकैत ने अलग तर्क दिया। यदि केंद्र 15 में से हमारी 12 मांगों पर सहमत हो रहा था, इसका मतलब है कि बिल सही नहीं हैं, तो उन्हें नष्ट क्यों नहीं किया जाना चाहिए। हमने एमएसपी पर एक कानून की मांग की थी लेकिन वे अध्यादेश के जरिए 3 बिल लाए थे। हमारा विरोध शांतिपूर्वक जारी रहेगा।

केंद्र सरकार का अड़ियल रवैया समझ के बाहर
शिरोमणि अकाली दल के मुखिया सुखबीर सिंह बादल का कहना है कि हम काले कानूनों को वापस नहीं लेने के केंद्र सरकार के रुख की कड़ी निंदा करते हैं। केंद्र द्वारा गुरुवार की की प्रेस कॉन्फ्रेंस से साबित होता है कि उन्होंने देश के 'अन्नदाता' के खिलाफ लड़ने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि सरकार जिस तरह से अड़ियल रुख अपनाए हुई उससे साफ है कि उनकी कथनी और करनी ंमें कितना फर्क है। 

Times Now Navbharat पर पढ़ें India News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।