- नवजोत सिंह सिद्धू ने सार्वजनिक तौर पर तीन पेज का खत लिखा है
- कांग्रेस कार्यसमिति में सोनिया गांधी ने सार्वजनिक तौर पर असंतोष जाहिर ना करने की दी थी सलाह
- सिद्धू, पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने और वापस लेने के लिए चर्चा में थे।
फायरब्रांड नेता के तौर पर नवजोत सिंह सिद्धू की पहचान से हर कोई वाकिफ है। दरअसल वो चर्चा में तो हमेशा रहते हैं, लेकिन हाल ही में वो दो वजहों से सुर्खियों में रहे। पहली वजह उनका पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना और दूसरी वजह इस्तीफे को वापस लेना। जिस दिन यानी 14 अक्टूबर को उन्होंने अपना इस्तीफा वापस लेने के बाद कहा कि अब उन्हें किसी तरह का गिला शिकवा नहीं है। राहुल गांधी के सामने उन्होंने अपनी बात रखी और दिक्कतों को दूर कर लिया गया है। लेकिन सार्वजनिक तौर पर उन्होंने तीन पेज की चिट्ठी में 13 बिंदुओं को उठाया।
तीन पेज में सिद्धू के 13 सवाल
यह कवायद इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में सोनिया गांधी ने स्पष्ट कहा था कि अगर किसी को मतभेद है तो वो सीधे बात करके समस्या का निपटारा करे। मीडिया में जाने से बचना चाहिए तो सवाल यह है कि क्या नवजोत सिंह सिद्धू कांग्रेस आलाकमान की नाफरमानी कर रहे हैं या वो दबाव वाली राजनीति को जारी रखना चाहते हैं।
ऐसा क्यों कर रहे हैं सिद्धू
अब सवाल यह है कि सिद्धू इस तरह के कदमों से क्या संदेश देना चाहते हैं। इस बारे में जानकार कहते हैं कि यह बात तो सार्वजनिक थी कि कैप्टन अमरिंदर सिंह के रहते सिद्धू अपनी राजनीतिक हसरतों को परवान नहीं चढ़ा सकते थे, लिहाजा उन्होंने खुला मोर्चा खोला। अगर सिद्धू की राजनीतिक जमीन की बात करें तो इसमें शक नहीं कि वो मतदाताओं में लोकप्रिय है। आगे की राजनीतिक दशा और दिशा के मद्देनजर कैप्टन अमरिंदर सिंह को संदेशा भेजा गया कि पार्टी के हित में उन्हें सीएम की कुर्सी छोड़ देनी चाहिए।
जब कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कुर्सी छोड़ी तो सिद्धू को लगा कि आने वाला सीएम कोई भी हो सरकार में उनकी दखल बनी रहेगी। लेकिन सीएम चरणजीत सिंह चन्नी ने कुछ नियुक्तियां की उसके बाद सिद्धू नाराज हो गए। सिद्धू को लगने लगा कि जिस मकसद के साथ उन्होंने पार्टी के अंदर लड़ाई लड़ी उसमें वो कामयाब नहीं हुए और उसका दर्द उनके बयानों में झलकता है।