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अपने 'साझा दुश्मन' से मिलकर लड़ेंगे भारत और पाकिस्तान, कर चुके हैं पांच बैठकें

Updated Feb 16, 2020 | 13:18 IST

Locust crisis in India-Pak : पिछले कुछ महीनों ने टिड्डियों के दल ने भारत और पाकिस्तान की रवि ऋतु की फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया है। जनवरी माह में इन पर कुछ हद तक रोक लग पाई है।

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तस्वीर साभार:&nbspPTI
भारत और पाकिस्तान में बना हुआ है टिड्डियों के हमले का खतरा।
मुख्य बातें
  • टिड्डियों के दल ने भारत और पाकिस्तान के फसलों को पहुंचाया है भारी नुकसान
  • जून के बाद पाक से लगे राजस्थान-गुजरात के कई जिलों में हो सकता है टिड्डियों का हमला
  • भारत ने की तैयारी, आधुनिक तकनीक युक्त छिड़काव वाले उपकरण खरीदे जाएंगे

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्ते अत्यंत खराब दौर में चले गए बावजूद इसके दोनों देशों के बीच करतारपुर कॉरिडोर सेवा शुरू हुई। हालांकि, करतारपुर गलियारा भी किंतु-परंतु के दायरे से मुक्त नहीं हो पाया। लेकिन हाल के कुछ महीनों में दोनों देशों के बीच साझा दुश्मन रेगिस्तानी टिड्डियों को हराने के लिए एक दो नहीं बल्कि पांच बैठकें हो चुकी हैं। इससे निपटने के लिए दोनों देश आपसी संपर्क जारी रखने पर सहमत हुए हैं।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक टिड्डियों के इस दल का खतरा आने वाले समय में बना हुआ है जिसे देखते हुए भारत और पाकिस्तान दोनों एक-दूसरे के संपर्क में रहने और अपना सहयोग जारी रखने पर सहमत हुए हैं। ऐसा अनुमान है कि टिड्डियों के दल का एक बड़ा हमला इस साल जून और उसके बाद हो  सकता है। बता दें कि टिड्डियों के दल ने बीते साल गुजरात और राजस्थान के कई जिलों में फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया है। टिड्डियों की यह खेप पाकिस्तान से भारत की तरफ आई है।

टिड्डियों के हमले पर कृषि मंत्रालय के एक नोट में कहा गया, 'ऐसा अनुमान है कि जून 2020 में भारत के 2 लाख वर्ग किलोमीटर के दायरे में टिड्डियों का दल हमला कर सकता है। दक्षिणपूर्व ईरान, दक्षिण पश्चिम पाकिस्तान और अफ्रीका से आने वाले टिड्डियों के दल का हमला पिछले साल से बड़ा हो सकता है। आशंका है कि वसंत ऋतु में पैदा हुआ टिड्डियों का यह दल मानसून सीजन में राजस्थान एवं गुजरात में फसलों को नुकसान पहुंचाएगा।'

भारत-पाक के बीच हुईं 5 बैठकें 
गौरतलब है कि पिछले कुछ महीनों ने टिड्डियों के दल ने भारत और पाकिस्तान की रवि ऋतु की फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया है। जनवरी माह में इन पर कुछ हद तक रोक लग पाई है। टिड्डियों के प्रकोप से फसलों को बचाने के लिए दोनों देशों के बीच भारत के मुनाबाओ और पाकिस्तान के कोकराझार में पांच बैठकें हुई हैं। इन बैठकों में दोनों देशों ने टि़ड्डियों से निपटने को लेकर अपनी जानकारियां साझा की हैं। पाकिस्तान में फसलों पर टिड्डियों का कहर इतना ज्यादा हुआ है कि वहां की सरकार ने इसे 'राष्ट्रीय आपदा' घोषित किया है। हालांकि, भारत ने इस तरह की कोई घोषणा नहीं की बल्कि कीटनाशकों का छिड़काव करते हुए उनके प्रजनन पर रोक लगाई और फसलों का नुकसान कम किया। 

आधुनिक छिड़काव उपकरण खरीदेगा भारत
रिपोर्ट में टिड्डियों के संभावित हमले से निपटने की भारत की तैयारी पर कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी के हवाले से कहा गया है कि भारत इससे निपटने के लिए आधुनिक तकनीक से युक्त छिड़काव करने वाले 60 उपकरण खरीदेगा। इसके अलावा कीटनाशकों का छिड़काव करने के लिए ड्रोन एवं हेलिकॉप्टर्स की मदद ली जाएगी।

...तो बांग्लादेश पहुंच गया होता टिड्डियों का दल
बाड़मेर से सांसद चौधरी ने बताया, 'भविष्य में इस तरह के संकट से निपटने के लिए हम पूरी तरह से तैयार हैं। टिड्डियों के दल के हमले को निष्क्रिय करने के लिए हम अपनी हवाई क्षमताओं को बढ़ाएंगे और इसके लिए हम गृह, नागरिक उड्डयन एवं रक्षा मंत्रालयों के साथ संपर्क में हैं।' बाड़मेर उन आठ जिलों में शामिल है जहां टिड्डियों के हमले की आशंका है। मंत्री का दावा है कि भारत ने टिड्डियों को रोकने के लिए कीटनाशकों के छिड़काव में यदि तत्परता नहीं दिखाई होती तो ये अब तक बांग्लादेश पहुंच गए होते। 

पाक में टिड्डियों ने किया है भारी नुकसान 
बीते महीनों में टिड्डियों के दल ने सिंध और खैबर पख्तूनख्वा के बड़े क्षेत्र में फसलों को नुकसान पहुंचाया। यहां टिड्डियां कपास, गेहूं, मक्का समेत अन्य फसलों को चट कर गईं। पाकिस्तान में टिड्डियों का प्रकोप इतना बढ़ गया कि प्रधानमंत्री इमरान खान को फरवरी के पहले सप्ताह में एक उच्च स्तरीय बैठक बुलानी पड़ी और इसे राष्ट्रीय आपातकाल घोषित करना पड़ा। पाकिस्तान सरकार ने टिड्डियों के खतरे से निपटने के  लिए एक एक्शन प्लान को मंजूरी दी है। साथ ही टिड्डियों को खत्म करने के लिए 730 करोड़ रुपये की जरूरत बताई गई है। 

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