- भारत से तनाव के बीच चीन ने शिनजियांग में लगभग 40 हजार सैनिक जुटाए हैं
- सूत्रों के अनुसार, चीन ने सैन्य अभ्यास के नाम पर इन सैनिकों का जमावड़ा किया है
- सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि चीनी सैनिक एलएसी के और करीब बढ़ रहे हैं
नई दिल्ली : पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन के साथ तनाव के बीच सुरक्षा एजेंसियों ने एलएसी से सटे भारतीय इलाकों में चार से छह उपग्रहों की तैनाती की आवश्यकता जताई है, ताकि चीन की सैन्य गतिविधियों पर करीब से नजर रखी जाए। इसकी जरूरत एलएसी से सटे चीन के शिनजियांग क्षेत्र में उसकी बढ़ती सैन्य गतिविधियों को देखे जाने के बाद महसूस की जा रही है।
शिनजियांग में बढ़ी चीन की गतिविधियां
रक्षा सूत्रों के मुताबिक, चीन ने अभ्यास के नाम पर एलएसी से सटे अपने शिनजियांग क्षेत्र में करीब 40 हजार सैनिकों को जमा किया हुआ है। साथ ही यहां भारी हथियार और तोपों की भी तैनाती की गई। चीनी सैनिक कई जगह धीरे-धीरे एलएसी के और करीब बढ़ रहे हैं, जो करीब 4,000 किलोमीटर लंबी है। चीन की इस हरकत के बाद भारत में सुरक्षा एजेंसियां चौकस हो गई हैं और उनका कहना है कि चीन पर नजर रखने के लिए भारत को एलएसी से सटे क्षेत्र में उच्च क्षमता के चार से छह सैटेलाइट लगाने की जरूरत है।
बाज नहीं आ रहा चालबाज चीन
शिनजियांग क्षेत्र में चीनी आक्रामता की यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है, जबकि लद्दाख में मई में हुई झड़प के बाद अब तक दोनों देशों के बीच संबंध सामान्य नहीं हो सके हैं। इससे पहले चीन ने कहा था कि दोनों पक्ष पूर्वी लद्दाख में विवादित स्थान से पीछे हट गए हैं। हालांकि भारत ने चीन के दावों को खारिज करते हुए कहा था कि यह प्रक्रिया अभी पूरी नहीं हुई है। अब एक बार फिर शिनजियांग क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य गतिविधियों से साफ है कि वह अपनी आक्रामकता से बाज नहीं आ रहा है, जिसे देखते हुए एलएसी पर सैटेलाइट तैनाती की जरूरत समझी जा रही है।
'उच्च क्षमता वाले सैटेलाइट की जरूरत'
समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट में रक्षा सूत्रों के हवाले से कहा गया है, 'भारतीय क्षेत्र के करीब और चीन में भीतर तक उसकी गतिविधियों का पता लगाने के लिए चार से छह ऐसे सैटेलाइट को यहां लगाने की जरूरत है, जिसमें उच्च क्षमता के सेंसर और कैमरे लगे हों, ताकि सभी तरह की गतिविधियों का पता लगाया जा सके। इसमें किसी छोटी चीज की आवाजाही से लेकर इंसानी गतिविधियां भी शामिल हैं।' रक्षा सूत्रों के मुताबिक, इससे चीन या अन्य प्रतिद्वंद्वियों पर नजर रखने के लिए भारत को विदेशी सहयोगियों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।