- चार मई को लद्दाख में एलएसी पर चीनी सेना की हरकत हुई
- पांच मई को पीएम मोदी को जानकारी दी गई और सेना जवाब देने के लिए रवाना हुई
- भारत के इस रुख से चीन का भी बदला सुर, मतभेद को विवाद में न बदलने देने की अपील की
नई दिल्ली। कोरोना काल में भी चीन अपनी चालबाजी से बाज नहीं आया। चार मई को वो लद्दाख में एलएसी के पास सैनिकों का जमावड़ा शुरू कर चुका था उस वक्त ध्यान बंटाने के लिए मिलिट्री एक्सरसाइज भी कर रहा था। चार मई से ठीक एक दिन बाद जब भारत को चीन की इस हरकत के बारे में जानकारी हुई तो पीएम नरेंद्र मोदी को तत्काल जानकारी दी गई। उनके साथ ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को भी बताया गया कि पड़ोसी देश क्या कुछ कर रहा है।
पांच मई को पीएम मोदी को दी गई जानकारी
चीन जब एलएसी के पास धमक पड़ा तो पीएम नरेंद्र मोदी और उनकी कैबिनेट को गलवान नाला एरिया के पेट्रोलिंग प्वाइंट 14 के बारे में बताया गया। लेह में 14 कॉर्प्स के मुख्यालय से चीन की हर एक हरकत पर नजर रखी जा रही थी और उसी दिन फैसला लिया गया कि चीन के खिलाफ आक्रामक रुख अख्तियार किया जाएगा। बताया जाता है कि किसी कोने से आवाज आई कि सैन्य तैयारियों की कमी की वजह से इस तरह के हालात बने। लेकिन इस तरह के विचार को सिरे से खारिज करते हुए कहा गया कि अगर उस इलाके में तैयारी में कमी हुई होती तो चीनी सैनिक दूसरे इलाके में भी दाखिल हो जाते।
भारत के बदले रूप से चीन था सकते में
भारत के इस बदले रूप से चीन भी सकते में था और एक मुहावरे के जरिए उसने संकेत दे दिया कि वो खुद तनाव को खत्म करना चाहता है। इसके लिए कई दौर की बातचीत हुई लेकिन 6 जून की लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की बातचीत में कुछ सार्थक नतीजे आए जिसका असर मंगलवार को दिखाई दिया। दोनों पक्ष तनाव वाली जगह पेट्रोलिंग प्वाइंट 14, पीपी 15(114 ब्रिगेड एरिया) और पीपी 17(हॉट स्प्रिंग से पीछे जा चुके हैं। भारतीय पक्ष इस समय चूशुल में है जहां से विवाद वाली जगह के संबंध में स्थानीय स्तर पर बातचीत की जाएगी। बताया जा रहा है कि मेजर जनरल स्तर के अधिकारियों के बीच बातचीत 10 जून को होगी।
क्या है जानकारों की राय
चीन और भारत के बीच सीमा पर तनाव कोई नई बात नहीं है। लेकिन 2017 के बाद जब चीन से लगी सीमा पर आधारभूत संरचना पर काम तेजी से बढ़ा तो चीन के लिए मुश्किल खड़ी हो गई। पहले चीन बिना किसी ज्यादा रोक टोक के भारतीय सीमा में दाखिल हो जाता था। लेकिन जब सीमा पर गश्त और दूसरे उपायों को बढ़ाया गया तो चीन की सोच में बदलाव आया कि अब भारत को हल्के में नहीं लिया जा सकता है। इसके साथ ही जब भारत की तरफ से वैश्विक जगत के साथ संबंधों को और मजबूत बनाने की दिशा में आगे बढ़ा तो भारतीय नेतृ्त्व का भी मानस साफ था कि अब चीन की किसी भी नापाक हरकत का जवाब पूरजोर तरीके से दिया जाएगा।