- लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हिंसक टकराव में कई भारतीय सैनिक शहीद
- लद्दाख में तनाव कम करने के लिए भारत और चीन की सेना के वरिष्ठ अधिकारी बैठक कर रहे हैं: सेना
- चीन की सीमा पर लगभग 45 साल बाद भारतीय सशस्त्र बलों के कर्मियों की शहादत
नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर जारी तनाव को 1 महीने से ज्यादा का समय हो गया है। अब जो खबर आई है, उससे तनाव में और बढ़ोतरी हो सकती है। दरअसल, गलवान घाटी में दोनों सेनाओं के बीच हिंसक झड़प हुई है, जिसमें भारत के 20 जवान शहीद हुए हैं। पहले एक अफसर समेत 3 जवानों के शहीद होने की खबर थी, लेकिन बाद में सेना की तरफ से कहा गया कि 20 जवान शहीद हुए हैं। वहीं सूत्रों के अनुसार, इस हिंसक झड़प में 43 चीनी सैनिक भी हताहत हुए हैं, इसमें मरने वाले और गंभीर रूप से घायल शामिल हैं। सेना ने कहा कि हिंसक झड़प के दौरान दोनों तरफ के सैनिक मारे गए हैं। चीनी पक्ष की तरफ से मरने वालों के बारे में बीजिंग ने फिलहाल पुष्टि नहीं की है। हालांकि इस बीच तनाव को कम करने के लिए दोनों देशों की सेनाओं के बीच बातचीत भी जारी है।
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गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़प में 20 सैनिक शहीद हुए हैं। न्यूज एजेंसी ANI के अनुसार, चीनी पक्ष के हताहतों की संख्या 43 है, जिसमें मृत और गंभीर रूप से घायल हैं। सेना की तरफ से कहा गया कि 15-16 जून की रात को भारतीय और चीनी सैनिक गलवान क्षेत्र में भिड़ गए थे। अब दोनों पक्ष पीछे हट गए हैं। ड्यूटी निभाते समय गंभीर रूप से घायल 17 जवान अत्यंत ऊंचाई पर शून्य तापमान से नीचे मौसम का सामना नहीं कर पाए। जख्मी हालत में होने के चलते सेना ने अपने 17 जवानों को खो दिया। इस तरह से इस हिंसा में कुल 20 जवानों की मौत हो गई। भारतीय सेना राष्ट्र की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता की रक्षा के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध है।'
सूत्रों के अनुसार, चीन के उप विदेश मंत्री लुओ झाओहुई और चीन में भारतीय राजदूत विक्रम मिश्री के बीच बीजिंग में मुलाकात हुई है।
हिंसक झड़प पर विदेश मंत्रालय ने जारी किया बयान
गलवान घाटी में हुई झड़प पर विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा, '15 जून की देर शाम और रात को चीन की ओर से यथास्थिति बदलने के एकतरफा प्रयास के परिणामस्वरूप हिंसक झड़प हुई। दोनों तरफ से लोग हताहत हुए, जिससे बचा जा सकता था। भारत बहुत स्पष्ट है कि उसकी सभी गतिविधियां हमेशा एलएसी के भारतीय पक्ष में हैं। हम चीनी पक्ष से भी यही उम्मीद करते हैं। हम सीमा क्षेत्रों में शांति बनाए रखने और बातचीत के माध्यम से मतभेदों के समाधान की आवश्यकता को लेकर दृढ़ता से आश्वस्त हैं। साथ ही हम भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को सुनिश्चित करने के लिए भी दृढ़ता से प्रतिबद्ध हैं।'
राहुल गांधी ने जताया दुख
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में भारतीय सेना के एक अधिकारी और दो जवानों के शहीद होने पर मंगलवार को गहरी पीड़ा जतायी और उनके परिवार के प्रति संवेदना प्रकट की। उन्होंने ट्वीट किया, 'देश के लिए अपने जीवन का बलिदान देने वाले अधिकारियों और सैनिकों को लेकर मुझे जो पीड़ा हुई है उसे शब्दों में बयां नहीं कर सकता। उनके प्रियजनों के साथ मेरी संवेदना है। इस मुश्किल घड़ी में हम आपके साथ खड़े हैं।'
'सुरक्षित हैं भारतीय सीमाएं'
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा, 'पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत की सीमाएं सुरक्षित हैं। लद्दाख की गलवान घाटी में डी-एस्कलेशन प्रक्रिया के दौरान चीनी सेना के साथ हिंसक आमना-सामना हुआ। भारतीय सेना ने करारा जवाब दिया। दुर्भाग्य से हमने अपने 3 जवानों को खो दिया। मैं उनके बलिदान के लिए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं और मैं आपको आश्वस्त कर सकता हूं कि पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत की क्षेत्रीय अखंडता से समझौता नहीं किया जाएगा। अब हमारे पास राजनीतिक इच्छाशक्ति है और हमारी सेना किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह से सुसज्जित है।'
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के आवास पर उच्चस्तरीय बैठक हुई। बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर, CDS जनरल बिपिन रावत और सेना प्रमुख एमएम नरवणे मौजूद रहे। यह आज लगातार दूसरी समीक्षा बैठक है।
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, 'यदि सच तो चीनी सैनिकों द्वारा हमारे जांबाज, बहादुर अधिकारी व सैनिको की शहादत की खबरें बहुत ही भयावह व पूर्णतया अस्वीकार्य हैं। भारत की सुरक्षा व क्षेत्रीय अखंडता से कोई समझौता स्वीकार नही किया जा सकता। देश क्षुब्ध है, परंतु पीएम व रक्षा मंत्री ने पूरी तरह चुप्पी साध ली है।'
उच्च स्तरीय बैठक के लिए सेना प्रमुख रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के आवास पहुंचे। वहीं भारत-चीन के बीच जारी विवाद पर विदेश मंत्रालय की तरफ से जल्द ही बयान जारी किया जा सकता है।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने कहा, 'चीन ने भारत के समक्ष विरोध दर्ज कराया है। यहां, हम भारत को मौजूदा समझौते का ईमानदारी से पालन करने और अपने सीमावर्ती सैनिकों को सख्ती से रोकने की मांग कर रहे हैं। उन्हें सीमा रेखा पार नहीं करनी चाहिए।' बीजिंग में चीन विदेश मंत्रालय प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहा है। ग्लोबल टाइम्स ने चीनी सैनिकों के नुकसान पहुंचने की पुष्टि की है। गलवान घाटी में कितने सैनिक हताहत हुए हैं इस पर चीन की तरफ से अभी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। समझा जाता है कि इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस पर कोई बात रखी जाए।
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बैठकों का दौर जारी
भारत और चीन के प्रमुख जनरल लद्दाख के गलवान घाटी और अन्य क्षेत्रों में स्थिति को सामान्य करने के लिए बातचीत कर रहे हैं। आज वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुख्यमंत्रियों के साथ होने वाली बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी हिस्सा लेंगे। दोनों देशों के बीच हालातों पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तीनों सेना प्रमुखों और विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत के साथ बैठक की।
चीन का भारत पर आरोप
चीन के ग्लोबल टाइम्स ने अपने विदेश मंत्री को क्वोट करते हुए कहा, 'चीन और भारतीय पक्ष ने सीमा पर बनी स्थिति को सही करने और सीमा क्षेत्रों में शांति बनाए रखने के लिए बातचीत के माध्यम से द्विपक्षीय मुद्दों को हल करने पर सहमति जताई। भारतीय सैनिकों ने सोमवार को अवैध रूप से दो बार सीमा पार करके चीनी सैनिकों पर हमलों को अंजाम देकर दोनों पक्षों की सहमति का उल्लंघन किया जिसके चलते गंभीर शारीरिक झड़पें हुईं।'
45 साल में चीन सीमा पर भारतीय जवान शहीद
गलवान घाटी में ये हिंसा सोमवार रात को हुई। इसे चीन की सीमा पर लगभग 45 साल बाद भारतीय सशस्त्र बलों के कर्मियों की शहादत की संभवत: पहली घटना माना जा रहा है। इससे पहले 1975 में अरुणाचल प्रदेश में तुलुंग ला में हुए संघर्ष में चार भारतीय जवान शहीद हो गए थे। हालांकि दोनों ओर से कोई गोलीबारी नहीं हुई। गौरतलब है कि बीते पांच हफ्तों से गलवान घाटी में बड़ी संख्या में भारतीय और चीनी सैनिक आमने-सामने खड़े थे।