- पीक स्थिति में भारत में एक दिन में 20-80 हजार तक अस्पतालों में बेड की जरूरत पड़ सकती है।
- अमेरिका में अस्पतालों में भर्ती का रिकॉर्ड टूट गया है। रविवार को 1,42,388 मरीज भर्ती हुए हैं।
- ऑस्ट्रेलिया में भी स्वास्थ्य सेवाओं पर दबाव बड़ गया है।
नई दिल्ली : कोविड-19 के बढ़ते मामले के बीच केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राज्यों को पत्र लिखकर कहा है कि वह अस्पतालों में भर्ती के लिए जरूरी इंतजामात की तैयारी करें। उनके अनुसार मौजूदा आंकड़ों के अनुसार इस समय कोविड-19 से संक्रमित होने वाले लोगों में से 5-10 फीसदी लोग भर्ती हो रहे हैं। हालांकि उन्होंने यह भी कहा है कि ,संक्रमण की रफ्तार के आधार पर आंकड़ों में बदलाव भी हो सकता है।
ऐसे में साफ है कि अगर देश में कोरोना के मामले बढ़ते हैं, तो विभिन्न विशेषज्ञों के अनुमानों को देखते हुए एक दिन में 20 हजार से 80 हजार तक हॉस्पिटल बेड की जरूरत पड़ सकती है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या इन परिस्थितियों के लिए हम तैयार हैं। और दूसरी लहर की तरह ऑक्सीजन की कमी, बेड की किल्लत जैसी भयावह स्थिति का सामना लोगों को नहीं करना पड़ेगा ? दूसरी लहर के समय भारत में अस्पताल में भर्ती होने की दर 23 फीसदी थी।
पीक पर आएंगे 4-8 लाख केस
आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर मनीन्द्र अग्रवाल के आंकलन के अनुसार भारत में जिस रफ्तार से कोरोना बढ़ रहा है, उसे देखते हुए, भारत में कोरोना का पीक जनवरी के अंत या फरवरी के पहले सप्ताह में हो सकता है। और उस वक्त 4-8 लाख मामले प्रतिदिन आ सकते हैं।
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इसी तरह आईआईटी मद्रास के सहायक प्रोफेसर डॉ. जयंत झा ने कहा है देश में 1 से 15 फरवरी के बीच कोविड की तीसरी लहर अपने पीक पर होगी। इस स्थिति में दिल्ली में हर रोज 35 से 70 हजार कोरोना के केस आएंगे।
और इस आधार पर मौजूदा अस्पताल में भर्ती दर को देखते हुए देश में पीक स्थिति में एक दिन में 20 हजार से 80 हजार बेड की जरूरत पड़ सकती है। ग्रेटर नोएडा के जे.पी.हॉस्पिटल के वरिष्ठ डॉ प्रनीश अरोड़ा ने टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल को बताया कि यह बात सही है कि डेल्टा वैरिएंट की तुलना में ओमीक्रॉन कम खतरनाक दिख रहा है। लेकिन दूसरा पहलू यह भी है कि ओमीक्रॉन वैरिएंट से संक्रमण दर बहुत ज्यादा है। ऐसे में अगर पीक के समय, भर्ती के लिए मरीजों की संख्या बढ़ी तो बड़ी चुनौती हो सकती है। हालांकि दूसरी लहर की तुलना में हमारी तैयारी काफी बेहतर है।
दिल्ली को इतनी जरूरत
दिल्ली सरकार के अनुमान के अनुसार, अगर दिल्ली में हर रोज एक लाख केस आते हैं, तो कम से कम 18 हजार आईसीयू बेड, 28 हजार ऑक्सीजन बेड और 46 हजार बेड की जरूरत पड़ सकती है। ये आंकलन इस आधार पर है कि मरीज अगर, औसतन अस्पताल में 7-18 दिन तक भर्ती रहता है, तो दिल्ली के लिए ये तैयारी जरूरी होगी। 10 जनवरी तक दिल्ली में 31,695 बेड , 9844 आईसीयू बेड और 2328 बच्चों के लिए बेड तैयार हो चुके हैं। और इसमें सरकार इजाफा कर रही हैं।
पूरे देश में क्या है तैयारी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 दिसंबर 2021 को देश में कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में सरकार की तैयारियों का ब्यौरा देते हुए बताया था कि देश में 18 लाख आइसोलेशन बेड, 5 लाख ऑक्सीजन को सपोर्ट करने वाले बेड, 1.40 लाख आईसीयू बेड तैयार हैं। इसी तरह अगर आईसीयू और नॉन आईसीयू बेड को शामिल कर लिया जाय तो बच्चों के लिए 90 हजार बेड तैयार किए गए हैं। इसके अलावा 3000 पीएसए ऑक्सजीन प्लांट चालू हैं। और 4 लाख ऑक्सीजन सिलेंडर राज्यों को दिए गए हैं। दवाइयां और दूसरी जरूरी किट भी दी गई हैं।
अमेरिका-ऑस्ट्रेलिया में बिगड़े हालात
न्यूयार्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका में बीते रविवार को पूरे देश में 1,42,388 मरीज भर्ती हुए हैं। जो कि 14 जनवरी 2020 की लहर से भी ज्यादा है। उस वक्त 1,42,315 मरीज भर्ती हुए थे। इसके अलावा औसतन 7 दिन से भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या 1,32,086 पहुंच गई है। जिसमें से करीब 83 फीसदी मरीज पिछले 2 हफ्ते में भर्ती किए गए हैं।
ऐसा ही हाल ऑस्ट्रेलिया में भी दिख रहा है। वहां महामारी शुरू होने के बाद से लगभग 11 लाख मामले दर्ज किए हैं, जिनमें से आधे से अधिक केस पिछले दो हफ्तों में आए हैं। इस बीच बढ़ते मामले को देखते हुए विक्टोरिया राज्य के प्रमुख, डैनियल एंड्रयूज नेकहा है कि हमारी स्वास्थ्य प्रणाली में अहम दबाव आ गया है।
जाहिर है कि ओमीक्रॉन वैरिएंट का असर अब दुनिया भर के देशों में दिखने लगा है। और उसी तरह भारत में संक्रमण की रफ्तार बढ़ गई है। पिछले दो दिनों से पूरे देश में 1.50 लाख से ज्यादा केस आ रहे हैं। ऐसे में समय रहते, जरूरी इंफ्रास्ट्रक्टर तैयार रहना बेहद जरूरी है।
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(एजेंसी इनपुट के साथ)