नई दिल्ली: भारत रूस से एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली की डिलीवरी में तेजी लाने पर बात करेगा। यह आधुनिक मिसाइल सिस्टम दुश्मन देश के ड्रोन, लड़ाकू विमान, बॉम्बर, जासूसी विमान और मिसाइल को पहचान कर उन्हें मार गिराने में सक्षम है। भारत और रूस के बीच एस-400 के लिए डील हो चुकी है और इसके लिए भारत 6 हजार करोड़ रुपए की पहली किश्त भी दे चुका है।
बुधवार को रूस में सैन्य व सैन्य तकनीकी सहयोग पर भारत-रूस अंतर-सरकारी कमीशन की 19वीं बैठक होने वाली है और भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इसकी सह अध्यक्षता करने वाले हैं। सूत्रों के अनुसार इस दौरान 5.43 बिलियन डॉलर (40 हजार करोड़ रुपए) की डील के तहत एस-400 मिसाइल सिस्टम की 5 स्क्वाड्रन की डिलीवरी में तेजी लाने पर बात होगी।
इसके अलावा भारत को रूस से लीज पर अकुला-1 पनडुब्बी मिलने तक मौजूदा आईएनएस चक्र पनडुब्बी की लीज को बढ़ाने पर भी बात होगी। इसी साल मार्च में 3 बिलियन डॉलर यानी करीब 21 हजार करोड़ रुपए कीमत में भारत ने रूस के साथ अकुला-1 परमाणु पनडुब्बी की लीज के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।
अकुला-1 मौजूदा समय में रूस से लीज में ली गई और भारतीय नौसेना में सेवा दे रही आईएनएस चक्र पनडुब्बी की जगह लेगी। यह भी अकुला क्लास की पनडुब्बी है और इसकी डील 900 मिलियन डॉलर कीमत में साल 2004 में हुई थी। भारत को साल 2012 में चक्र पनडुब्बी 10 साल की लीज पर मिली थी।
एस 400 और परमाणु पनडुब्बी के अलावा भारत- रूस के बीच अन्य कई तरह की सैन्य हथियार सामग्री पर चर्चा की जाएगी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भारत-रूस अंतर-सरकारी कमीशन की 19वीं बैठक में अपने रूसी समकक्ष सर्गेई शोइगु के साथ हिस्सा लेंगे।