- अफगानिस्तान में तालिबान और अफगान सुरक्षाबलों के बीच जारी है संघर्ष
- भारत अपने नागरिकों की सुरक्षा को लेकर चिंतित है, उठाएगा सभी कदम
- अफगानिस्तान के बड़े भूभाग पर तालिबान ने अपना नियंत्रण कर लिया है
नई दिल्ली : अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबान (Taliban) की बढ़त और लोगों पर अत्याचार की रिपोर्टों पर भारत सरकार सक्रिय हो गई है। विदेश मंत्रालय का कहना है कि वह इस देश में हिंदू और सिख समुदाय की सुरक्षा पर करीबी नजर बनाए हुए है। विदेश मंत्रालय की साप्ताहिक समीक्षा के दौरान प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि 'अफगानिस्तान में लगातार बिगड़ रहे हालात पर भारत चिंतित है। काबुल स्थित भारतीय दूतावास इन अल्पसंख्यकों पर करीबी नजर बनाए हुए हैं। हम इनकी सुरक्षा के लिए सभी आवश्यक मदद सुनिश्चित करेंगे।' पिछले साल सिख समुदाय पर तालिबान के हमलों के बाद भारत ने वहां से 383 हिंदू और सिखों को वापस लाया था।
अफगानिस्तान के सभी हितधारकों के संपर्क में है भारत
बागची ने जोर देते हुए कहा कि 'अफगानिस्तान के सभी हितधारकों के साथ भारत संपर्क में है। इसमें तालिबान के कुछ गुट भी शामिल हैं।' इस सप्ताह की शुरुआत में भारत, अफगानिस्तान में रहने वाले अपने नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी कर चुका है। भारतीय नागरिकों से कहा गया है कि इससे पहले कि विमान सेवाएं ठप हों, वे देश छोड़ दें। भारत मजार-ए-शरीफ स्थित वाणिज्यिक दूतावास से अपने सभी कर्मचारियों को निकाल चुका है। यहां से अपने कर्मचारियों को निकालने के लिए भारत सरकार ने विशेष विमान की व्यवस्था की और यह भी कहा कि जो नागरिक इस विमान से वापस देश आना चाहते हैं, वे आ सकते हैं।
'भारत की विकास परियोजनाओं पर अफगानिस्तान का हक'
सलमा डैम और भारत की अन्य परियोजनाओं पर तालिबान के हमले के सवाल पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि भारत ने इन विकास परियोजनाओं को बनाने के बाद उसे अफगानिस्तान को सौंप दिया है। उन्होंने कहा, 'ये अब अफगानिस्तान की संपत्ति और उनकी जिम्मेदारी हैं। अब ये संपत्तियां अफगानिस्तान की हैं। हम उम्मीद करते हैं इन्हें नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा।'
'दुर्भावनायुक्त विदेशी हस्तक्षेप' पर भारत ने जताई चिंता
पाकिस्तान की तरफ इशारा करते हुए भारत ने अफगानिस्तान में 'दुर्भावनायुक्त विदेशी हस्तक्षेप' पर चिंता जाहिर की। बागची ने कहा, 'हमारी प्रमुख चिंता अफगानिस्तान में शांति एवं स्थिरता को लेकर है। हम चाहते हैं कि अफगान लोगों के नेतृत्व में वहां शांति स्थापित हो लेकिन अभी वहां ऐसा कुछ होता नहीं दिख रहा है।'