Indian Army Day 2022: आज भारतीय सेना दिवस (Indian Army Day) है। एक ऐसा दिन जब भारत की सेना ब्रिटेन से अपनी आाजदी का जश्न मनाती है। आज ही के दिन (15 जनवरी) साल 1949 में फील्ड मार्शल केएम करियप्पा (Field Marshal KM Cariappa) ने जनरल फ्रांसिस बुचर (General Sir Francis Butcher) से भारतीय सेना की कमान संभाली थी और तभी से हर साल भारतीय सेना इसे अपने स्थापना दिवस के तौर पर मना जा रही है। यह भारतीय सेना का 74वां स्थापना दिवस है।
फील्ड मार्शल केएम करियप्पा भारतीय सेना के शीर्ष कमांडर का पदभार ग्रहण करने के उपलक्ष्य में हर साल 15 जनवरी को भारतीय सेना दिवस (Indian Army Day) मनाया जाता है। इस दिन पूरा देश भारतीय थल सेना के अदम्य साहस, उनकी वीरता, शौर्य और उसकी कुर्बानी को याद करता है। इंडियन आर्मी डे सभी सैन्य कमांड मुख्यालय में आयोजित किया जाता है। इस बार ऐसे समय में यह खास दिन मनाया जा रहा है, जब देशभर में कोविड-19 की तीसरी लहर है। ऐसे में आर्मी डे पर कार्यक्रमों का आयोजन सख्त कोविड प्रोटोकॉल के बीच किया जाना है।
आर्मी डे पर यहां देखें लाइव परेड
भारतीय सेना इस मौके पर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली स्थित केएम करियप्पा परेड ग्राउंड में आर्मी डे परेड का आयोजन करने जा रही है। परेड 15 जनवरी को सुबह 10:20 बजे आयोजित होगी, जिसके लिए सेना की ओर से लाइव लिंक भी शेयर किया गया है।
Indian Army Day Parade 2022 आप ट्विटर, फेसबुक और यूट्यूब पर भी देख सकते हैं। यहां देखें Live Links
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Army Day: सेना की आजादी के जश्न का दिन
सैन्य परेड, प्रदर्शनियों और अन्य आधिकारिक कार्यक्रमों में इस दिन सेना के जवानों के दस्ते और अलग-अलग रेजिमेंट की परेड होती है और उन सभी बहादुर सेनानियों को सैल्यूट किया जाता है, जिन्होंने देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया और जो आज सेवा में रहते हुए हर तरह से सरहदों की हिफाजत में जुटे रहते हैं। जैसा कि पहले भी कहा गया है, इंडियन आर्मी डे भारतीय सेना की ही आजादी का जश्न है, साल 1949 में इसी दिन केएम करियप्पा देश के पहले लेफ्टिनेंट जनरल घोषित किए गए थे। इससे पहले इस पद पर ब्रिटिश मूल के जनरल फ्रांसिस बूचर थे।
केएम करियप्पा का जन्म 1899 में कर्नाटक के कुर्ग में हुआ था। महज 20 साल की उम्र में उन्होंने ब्रिटिश इंडियन आर्मी में नौकरी शुरू की थी। ब्रिटेन से भारत की आजादी के ठीक बाद कश्मीर में घुसपैठ को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच जब सैन्य तनाव उत्पन्न हुआ था, तब करियप्पा ने पश्चिमी सीमा पर सेना का नेतृत्व किया था। देश के बंटवारे के समय दोनों पक्षों में सैन्य बंटवारा भी हुआ था, जिसमें भी केएम करियप्पा को अहम जिम्मेदारी सौंपी गई थी। वर्ष 1953 में वह सेना से रिटायर हो गए थे।