- पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में 14-15 जून की रात को हिंसक झड़प हुई थी
- लाठियों-डंडों और मुक्कों से चला यह हिंसक झड़प करीब 8 घंटे तक चली थी
- देश की आन-बान-शान की हिफाजत करते हुए जवानों ने चीनी पक्ष को भी भारी नुकसान पहुंचाया था
लेह : भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बीते एक साल से तनाव के बीच भारतीय सेना ने मंगलवार को देश के उन बहादुर सपूतों को याद किया, जिन्होंने देश की सीमा की हिफाजत करते हुए अपनी जान राष्ट्र पर कुर्बान कर दी। गलवान हिंसा के एक साल पूरे होने के अवसर पर भारतीय सेना की फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स ने लेह स्थित वार मेमोरियल पर शहीदों को श्रद्धासुमन अर्पित किए।
फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स के COS मेजर जनल अक्ष कौशिक ने मंगलवार, 15 जून को लेह स्थित वार मेमोरियल पर पुष्पचक्र अर्पित कर गलवान के शहीदों को नमन किया। इस संबंध में जारी एक बयान में कहा गया है कि देश उन वीर सैनिकों का हमेशा आभारी रहेगा, जिन्होंने सबसे कठिन ऊंचाई वाले इलाके में लड़ाई लड़ी और राष्ट्र की सेवा में सर्वोच्च बलिदान दिया।
पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में 14-15 जून की रात को हुई हिंसक झड़प में एक कर्नल सहित भारत के 20 जवान शहीद हुए थे। अत्यधिक ऊंचाई वाले इस क्षेत्र में तापमान शून्य से भी नीचे रहता है। कड़ाके की ठंड और तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद भारतीय सेना के जवानों ने अदम्य साहस और शौर्य का परिचय देते हुए न केवल देश की आन-बान-शान की हिफाजत की, बल्कि चीनी पक्ष को भी भारी नुकसान पहुंचाया।
लोहे की छड़ों, लाठियों-डंडों और मुक्कों से चला यह हिंसक संघर्ष करीब 8 घंटे चला था। गलवान घाटी में हुई इस हिंसक झड़प के बाद भारत और चीन के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया था और संशस्त्र संघर्ष के बादल मंडराने लगे थे। चीन की हर चाल का माकूल जवाब देने के लिए भारत ने भी पूरी तैयार कर रखी थी। पैंगोंग त्सो झील सहित तनाव वाले कई क्षेत्रों में दोनों देशों की सेनाएं महीनों तक एक-दूसरे के आमने-सामने रहीं।