- सद्भाव की निशानी है तिरंगे का सफेद रंग
- खुशहाली और प्रगति का प्रतीक तिरंगे का हरा रंग
- केसरिया रंग बलिदान का प्रतीक
नई दिल्ली: देश आज 72वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। भारतीय तिरंगा हमारे देश की आन-बान और शान का प्रतीक है। राष्टीय ध्वज तिरंगे में केसरिया, सफेद और हरा तीन रंग हैं। इन तीन रंग जीवन में काफी महत्व रखते हैं।
तिरंगे के तीन रंगों का अलग-अलग महत्व
राष्ट्रीय ध्वज यानी भारतीय तिरंगे में तीन रंग केसरिया, सफेद और हरा समाहित हैं। इन तीन रंगों का अपना महत्व है । राष्ट्रध्वज के निर्माताओं ने देश को एक सूत्र में बांधने के लिए बहुत सोच-समझकर इन तीन रंगो और अशोक चक्र का उपयोग किया।
तिरंगे में मौजूद केसरिया रंग को साहस और बलिदान का प्रतीक माना जाता है। दूसरी तरफ सफेद रंग सच्चाई, शांति और पवित्रता की निशानी है। तिरंगे के तीसरे यानी हरे रंग को सन्पन्नता का प्रतीक माना जाता है। ये रंग मिलकर देश के गौरव का प्रतीक बनाते हैं और भाईचारे के संदेश के साथ ही जीवन को लेकर ज्ञान भी देते हैं।
सद्भाव की निशानी है सफेद रंग
भारतीय तिरंगे के बीच में रहता है सफेद रंग जो शांति और ईमानदारी का प्रतीक माना गया है। भारतीय दर्शन शास्त्र के मुताबिक, सफेद रंग को स्वच्छता और ज्ञान का भी प्रतीक माना गया है। मार्गदर्शन और सच्चाई की राह पर हमेशा चलना चाहिए।
खुशहाली और प्रगति का प्रतीक हरा रंग
तिरंगे के सबसे नीचे हरा रंग विश्वास, उर्वरता, खुशहाली, समृद्धि और प्रगति का प्रतीक है। दर्शन शास्त्र के अनुसार, हरे रंग को उत्सव के माहौल से भी जोड़ा जाता है। तो फेंगशुई के मुताबिक हरा रंग कई बीमारियों से भी राहत दिलाता है।
हरा रंग हरियाली का प्रतीक
हरा रंग पूरे भारत में हरियाली को दर्शाता है और आंखों को सुकून भी देता है। जिस प्रकार प्रकृति जीवन का संदेश देती है, उसी प्रकार इस रंग से भी जीवन का गहरा संबंध है। फेंगशुई की मानें तो हरा रंग बीमार व्यक्तियों के लिए जीवनदायी औषधि सरीखा है। फेंगशुई ने इसे विकास, स्वास्थ्य और सौभाग्य का भी प्रतीक माना है।
पहली बार इसे 1906 में बनाया गया
भारतीय तिरंगे का इतिहास काफी पुराना है। पहली बार इसे 1906 में बनाया गया। हालांकि इसके रूप में कई बार परिवर्तन भी होता आया है। देश आज 26 जनवरी को अपना 72वां गणतंत्र दिवस हर्षोल्लास के साथ मना रहा है।