- लंदन में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री ने रखी अपनी बात
- जयशंकर ने कहा कि भारत-चीन के रिश्ते में असीम संभावनाएं और चुनौतियां हैं
- गलवान घाटी की हिंसा के बाद दोनों देशों के बीच रिश्ते काफी तल्ख हो गए हैं
लंदन : विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को कहा कि चीन के साथ भारत के संबंधों में असीम संभावनाओं के साथ-साथ चुनौतियां भी हैं। विदेश मंत्री ने कहा कि 'तनाव एवं संघर्ष से मुक्त माहौल में एक संबंध विकसित हो सकता है'। लंदन में 'पॉलिसी एक्सचेंज' कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, 'चीन के साथ हमारे संबंधों में असीम संभावनाएं हैं लेकिन इसमें अहम चुनौतियां भी हैं। इनमें से कुछ चुनौतियां इस समय दिखाई दी हैं। जाहिर है कि आप तनाव एवं संघर्ष मुक्त माहौल में संबंध विकसित करते हैं।'
'नई दिल्ली-चीन के बीच संभावनाएं लेकिन चुनौतियां भी'
विदेश मंत्री ने इस बात का उल्लेख करते हुए कहा कि मौजूदा समय में भारत से लगी सीमा के नजदीक बड़ी संख्या में चीनी फौज मौजूद है और इससे दोनों देशों के संबंध प्रभावित हुए हैं। भारत और चीन दोनों देशों के बीच संभावनाएं हैं लेकिन इन संभावनाओं को अभी देखा जाना है और इस तरफ एक-दूसरे को सम्मान देकर आगे बढ़ा जा सकता है। गत बुधवार को एक 'ग्लोबल डायलॉग सीरिज' समारोह को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि चीन के साथ भारत के संबंध अभी 'बहुत ही कठिन दौर' से गुजर रहे हैं और नई दिल्ली ने बीजिंग से स्पष्ट कह दिया है कि अच्छे संबंधों के लिए सीमा पर शांति एवं सद्भाव का होना बेहद जरूरी है।
जयशंकर ने कहा-यांग यी से कोविड पर हुई चर्चा
फोन पर चीन के विदेशमंत्री वांग यी के साथ हुई अपनी हाल की चर्चा के बारे में जयशंकर ने कहा कि ‘पिछली वार्ता काफी हद तक कोविड-19 महामारी पर केंद्रित थी और मेरी चर्चा का विषय था कि कोविड-19 निश्चित रूप से कुछ बड़ा है और यह हमारे साझे हित में है कि इससे निपटने के लिए मिलकर काम करें और यही बात विदेश मंत्र वांग यी ने भी मुझसे कही।' मंत्री ने कहा कि भारतीय कंपनियां चीन से ऑर्डर प्राप्त करने में मुश्किल का सामना कर रही हैं और उनका चीनी मंत्री को संदेश था कि वह सबसे बेहतर मदद इस प्रक्रिया में राहत देकर कर सकते हैं।
अभी पटरी पर नहीं आए हैं भारत-चीन के संबंध
बता दें कि गत 15 जून की गलवान घाटी की घटना के बाद दोनों देशों के बीच तनाव काफी बढ़ गया। भारत और चीन दोनों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर बड़ी संख्या में अपने सैनिक तैनात कर दिए। हालात इतने बिगड़ गए कि दोनों देशों के बीच टकराव की आशंका बढ़ गई। हालांकि, सैन्य कमांडर स्तर की वार्ताओं में विवाद वाली जगहों से दोनों देशों ने पीछे हटने का फैसला किया। हालांकि, चीन की मंशा पर अभी भी सवाल बने हुए हैं। वह एलएसी के समीप अपने सैन्य ठिकानों को मजबूत करने में लगा है।