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घाटी में सिलेंडर स्टॉक और स्कूल खाली करने के निर्देश, उमर अब्दुल्ला बोले- सरकार बताए क्या है माजरा

Updated Jun 28, 2020 | 21:10 IST

india china standoff: घाटी में सिलेंडर को स्टॉक और स्कूलों को खाली करने के निर्देश का मतलब भारत चीन तनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। लेकिन सरकार की तरफ से भूस्खलन को वजह बताया जा रहा है।

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उमर अब्दुल्ला, नेशनल कांफ्रेंस के वरिष्ठ नेता
मुख्य बातें
  • जम्मू-कश्मीर सरकार के फैसले के खिलाफ उमर अब्दुल्ला को ऐतराज
  • घाटी में एलपीजी स्टॉक और स्कूलों को खाली करने के पीछे क्या है माजरा
  • इस फैसले के पीछे सरकार अपनी मंशा करे स्पष्ट

नई दिल्ली। गलवान घाटी में हिंसक झड़प के बीच भारत और चीन के बीच तनाव चरम पर है। चीनी चाल के बारे में जैसे जैसे जानकारी सामने आ रही है उससे एक बात तो साफ है कि उसकी तरफ से तनाव  पैदा करने के साथ उसे बढ़ाने की योजना पर काम कर रहा था। मार्शल ऑर्ट के ट्रेनर उदाहरण है। इन सबके बीच घाटी में एलपीजी के स्टॉक के साथ साथ गांदरबल में स्कूलों को खाली करने की खबर है। दरअसल जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला के एक ट्वीट के बाद इस तरह की जानकारी सामने आई। 

भूस्खलन का बताया गया है अंदेशा
बताया जा रहा है कि जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल जी.सी. मुर्मू ने 23 जून को एक बैठक की थी। बैठक के बाद आदेश में कहा गया है कि कश्मीर घाटी में एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटर्स को कम से कम दो महीने के लिए सिलेंडर का स्टॉक करना चाहिए और इसके पीछे भूस्खलन की वजह से राष्ट्रीय राजमार्ग बंद होने का अंदेशा जताया गया था। उपराज्यपाल की ओर से दूसरा आदेश भी जारी किया गया है। इसमें कहा गया है कि कारगिल से सटे गांदरबल इलाके में सुरक्षाबलों के लिए स्कूल की इमारतों को खाली कराया जाए। 

उमर अब्दुल्ला को है आपत्ति
अगर एलपीजी के स्टॉक की बात करें तो यह पहली बार ऐसा नहीं है, बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद भी इस तरह के हालात बने। जहां तक स्कूलों को खाली करने की बात है तो गांदरबल के बारे में इस तरह की खबर आ रही है दरअसल गांदरबल रणनीतिक तौर पर श्रीनगर से लेह वाले रास्ते पर पड़ता है। उम अब्दुल्ला कहते हैं कि सरकार के इस तरह के आदेश से लोगों में दहशत है कि आखिर क्या हो रहा है। सरकार को इस विषय में स्पष्ट बयान देना चाहिए कि आखिर मुद्दा क्या है। 


स्कूलों को खाली करने का फैसला समझ के बाहर
उमर अब्दुल्ला ने राज्य सरकार पर सियासी निशाना साधते हुए कहा कि एक साल पहले जिन मकसद को पूरा करने के वादे और दावे किए गए थे वो जमीन पर कहां नजर आते हैं। जम्मू-कश्मीर का मौजूदा प्रशासन लोगों को भावनाओं को समझने में नाकाम रहा है। सरकार एक तरफ कह रही है कि प्राकृतिक परेशानियों की वजह से इस तरह के आदेश जारी किए गए हैं। लेकिन हकीकत में स्कूलों को खाली करने का फैसला समझ के बाहर है। 

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